करंट टॉपिक्स

भगवान राम हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं – आरिफ मोहम्मद खान

Spread the love

नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं नवनियुक्त राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अब्दुल अलीम द्वारा लिखित पुस्तक “इमाम-ए-हिन्द- राम” का विमोचन कर कार्यक्रम में उपस्थित जनों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि संस्कृति आस्था से संबंधित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण, जलवायु, संस्कृति और भौगोलिक परिस्थितियों से संबंधित है.

उन्होंने कहा कि भगवान राम इस राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान हैं. “चाहे आप उन्हें भगवान के रूप में स्मरण करें, या अवतार के रूप में या मर्यादा पुरुषोत्तम, अयोध्या के राजा के रूप में. वे भारत के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं. राम को भारत की धरती से अलग नहीं किया जा सकता है और वह हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग हैं.”

दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम इमाम-ए-हिन्द राम – सबके राम में डॉ. अब्दुल अलीम द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन किया गया. आरिफ मोहम्मद खान विमोचन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

उन्होंने कहा कि कबीर के राम प्रत्येक कण में थे और वाल्मीकि के राम मर्यादा पुरुषोत्तम थे. ये एक ही सूत्र से बंधे हैं, और हमें इस सूत्र को मजबूत करना चाहिए. उन्होंने देश में सांस्कृतिक एकता पर बल दिया. उन्होंने कहा “जब भगवान ने मनुष्य को बनाने का निर्णय किया, तो उसने सभी मनुष्यों में आत्मा का समावेश किया.”

विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी जनजातीय विश्वविद्यालय के कुलपति टीवी कट्टीमनी ने कहा कि लोग अक्सर दावा करते हैं कि आदिवासी हिन्दू नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राम, सीता और लक्ष्मण हर आदिवासी भाषा में विद्यमान हैं और यह इस बात का प्रमाण है कि हम हिन्दू हैं.

कार्यक्रम अध्यक्ष पूर्व राज्यसभा सदस्य डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि राम का धर्म पूछना सही नहीं है. राम भारत के कोने-कोने में विद्यमान हैं. वे प्रत्येक व्यक्ति में हैं और वे हर किसी के हैं. यही कारण है कि इमाम-ए-हिन्द जैसे प्रयासों को जारी रखना चाहिए.

इतिहास में पहली बार, इमाम-ए-हिन्द, रामकथा का उर्दू में मंचन होगा. अदबी कॉकटेल द्वारा उर्दू में रामकथा का मंचन अपनी तरह का प्रथम प्रयास है.

आलोचक प्रोफेसर बिस्मिल्लाह ने कहा कि रामलीला का विश्व के 14 देशों में मंचन होता है. इसलिए डॉ. अलीम द्वारा लिखित रामकथा का भी भारत के साथ ही संपूर्ण विश्व में मंचन होना चाहिए.

डॉ. अलीम ने भरत मिलाप का अध्याय सुनाया. डॉ. राकेश ने कहा कि विविधता के बावजूद, भारत की सभी जातियों, संस्कृतियों और समुदायों में राम को स्वीकार किया जाता है. प्रसिद्ध कवि अल्लामा इकबाल की उक्ति इमाम-ए-हिन्द, इस धारणा का एक उदाहरण है.

अदबी कॉकटेल के अतुल गंगवार ने पुष्टि की कि संगठन पूरे भारत में इस नाटक का मंचन करने की योजना बना रहा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *