पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि जैसे गंगा उसमें आने वाली सभी धाराओं को पवित्र करती है, वैसे ही संघ में आने वाला हर व्यक्ति वैचारिक रूप से पवित्र हो जाता है. संघ का पारस स्पर्श सभी को हुआ है. परीसवेध पुस्तक संघ से एकरूप होकर सामाजिक कार्य के लिए खड़े रहने वाले सभी के लिए प्रतिनिधिक होगा. रवींद्र तथा राजाभाऊ मूले द्वारा लिखित और साप्ताहिक विवेक व हिंदुस्तान प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘परीसवेध‘ का विमोचन रविवार (07 मार्च) को भय्याजी जोशी ने किया. वे कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 93 वर्ष की यात्रा में सब कुछ न्यौछावर करते हुए व्यक्ति निर्माण के कार्य में खुद को समर्पित करने वाले व्यक्तियों का चित्रण मूले जी ने इस पुस्तक में किया है. इस अवसर पर भय्याजी ने समर्थ भारत वेबसाइट का लोकार्पण भी किया.
मूले जी ने कहा कि जो मैं लिख रहा था, वह पाठकों को पसंद आ रहा था. यह ध्यान में आने के बाद प्रोत्साहन मिला. इसके द्वारा व्यक्ति निर्माण के कार्य को समर्पित संघ योद्धाओं के चरित्र शब्दांकित करने का सौभाग्य मुझे मिला.
महेश पोहनकर ने प्रस्तावना रखी. राजाभाऊ की कलम से इस पुस्तक को कैसे आकार दिया गया, इसकी जानकारी उन्होंने दी. चित्र एवं मूर्तिकार प्रमोद कांबले और राजेंद्र वहाडने, चंद्रशेखर कुलकर्णी और मंदार सहस्रबुद्धे का भी सम्मान किया गया. इस अवसर पर हिंदुस्तान प्रकाशन संस्था के अध्यक्ष रमेश पतंगे, नानाजी जाधव, रवींद्र वंजारवाडकर उपस्थित थे. प्रज्ञा बक्शी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.