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भारतीय खेलों से शरीर, मन, बुद्धि का संपूर्ण विकास संभव – वी भगैय्या जी

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खेल संगम.1जयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह वी भगैय्या जी ने कहा कि खेलों से मानवता का विकास होता है और मानवता के विकास से भ्रष्टाचार का नाश होता है. स्वदेशी खेलों से क्षमता बढ़ती है, साथ ही एकाग्रता आती है. शरीर, मन, बुद्धि व आत्मिक विकास खेलों से ही सम्भव है. खेल मात्र पुरस्कार प्राप्ति के लिए नहीं खेलने चाहिए, खेल तो नर से नारायण तक के लिए है. सह सरकार्यवाह जी जयपुर स्थित चौगान स्टेडियम में क्रीड़ा भारती के ‘राष्ट्रीय खेल संगम’ के समापन कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारतीय खेलों से कम समय में अधिक व्यायाम होता है. कबड्डी, खो-खो जैसे स्वदेशी खेल भारत को ओलम्पिक में सम्मान दिला सकते हैं. उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि क्रीड़ा भारती और सरकार अपने – अपने स्तर पर स्वदेशी खेलों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, किन्तु हमें भी आगे आना होगा.

खेल संगमकार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि खेलों के द्वारा शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं. अगले ओलम्पिक खेलों में पदकों के शतक का हमारा लक्ष्य है. सरकार इसके लिए प्रयास कर रही है प्रतिभावान खिलाड़ियों को सुविधाओं का अभाव न रहे तथा उन्हें समय पर उचित संसाधन उपलब्ध हो सकें. क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष चेतन चौहान ने क्रीड़ा भारती के कार्यों तथा त्रिदिवसीय राष्ट्रीय खेल संगम की जानकारी प्रदान की. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रांत प्रचारक शिव लहरी जी, क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नारायण सिंह राणा जी, क्रीड़ा भारती के प्रदेषाध्यक्ष गोपाल सैनी सहित अन्य गणमान्यजन कार्यक्रम में उपस्थित थे.

भारतीय खेलों का अद्भुत प्रदर्शन

राष्ट्रीय खेल संगम के समापन कार्यक्रम में चौगान स्टेडियम में प्रतिभागियों ने भारतीय खेलों का अद्भुत प्रदर्शन किया. जिसमें मणिपुर के खिलाड़ियों द्वारा तलवार बाजी (थांगता), बंगाल द्वारा संगीतमय योगासन, तमिलनाडु द्वारा मार्शल आर्ट, झारखंड के खिलाड़ियों द्वारा दण्ड (लाठी), उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों द्वारा रस्सा मलखम्ब का प्रदर्शन किया गया. सभी खिलाड़ियों ने सामूहिक सूर्य नमस्कार भी किये.

खेल संगम.

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