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भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ है

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नई दिल्ली. हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा कि भारत ने ही विश्व को सबसे पहले सभ्यता एवं संस्कृति का पाठ पढ़ाया है और विश्व को शून्य व अंक भारत ने ही दिया है. भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति विश्व में सर्वश्रेष्ठ है. वे दिल्ली में चौधरी बंसी लाल विश्वविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वैदिक गणित सम्मेलन में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन परम्पराओं और संस्कृति को विश्व में अपनाया जा रहा है. वैदिक गणित हमारा अपना है, इसके प्रचार-प्रसार की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है. उन्होंने कहा कि वैदिक गणित को प्रोत्साहन के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की सराहना की.

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी जी ने कहा कि भारत में गणित का अभ्युदय वैदिक काल से ही है और गणित के क्षेत्र में भारत ने प्राचीन काल में पूरे विश्व का नेतृत्व किया है. वैदिक गणित से तर्क शक्ति का विकास होता है. उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का गणित अच्छा होता है, उसके जीवन का गणित अच्छा हो जाता है.

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके मित्तल ने कहा कि वह ज्ञान जो मानव कल्याण की बात करता है, वह हमें वेदों से प्राप्त होता है और वैदिक गणित भी हमें वेदों से ही मिला है. विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास और उनकी प्रतिभा को उभारने के लिए 11 हॉबी क्लबों का गठन किया गया है. हॉबी क्लब के माध्यम से विद्यार्थी अपनी प्रतिभा को बेहतर रूप से प्रदर्शित करने में सक्षम हो सकेंगे.

अमेरिका से आए हिमांशु ने कहा कि अच्छे गणित के बिना गणना का कार्य असंभव है, तो वहीं अच्छी तर्कशक्ति के बिना मानसिक स्तर का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है. किसी आकृति में संख्या मैट्रिक्स के अंतर्गत प्रश्नों में कुछ संख्याएं किसी विशेष नियम के तहत व्यवस्थित होती हैं. यदि आपको नियम ज्ञात है तो ही लुप्त संख्या को ज्ञात कर सकते हैं. गणितीय संक्रियाएं एवं गणितीय ज्ञान से हम तर्कशक्ति परीक्षा में प्रयोग करते हैं. गणितीय नियमों से तात्पर्य सरलीकरण, औसत, अनुपात, साझेदारी, प्रतिशत, लाभ-हानि, ब्याज, क्षेत्रमिति, आयतन आदि से संबंधित नियमों के ज्ञान से है. उन्होंने बताया कि गणित के बिना प्रमाण नहीं बनता, और प्रमाण तर्कशक्ति से प्राप्त होते हैं. तर्कशक्ति के बिना गणित हल नहीं किया जा सकता. वैदिक गणित से हम बड़ी से बड़ी गणनाओं को शीघ्र एवं सही हल कर सकते हैं. वैदिक गणित में शास्त्र, वेद, पुराणों, एवं ऋषि मुनियों द्वारा गणित की गणना के सरल सूत्र बताए गए हैं, जिनकी पालना करने से गणित की गणनाओं को सरलता से हल कर सकते हैं. जीवन में गणित एवं तर्कशक्ति का विशेष महत्व है. मनुष्य का अधिकांश ज्ञान गणित और तर्कशक्ति पर आधारित है. इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को गणित के सामान्य नियम ज्ञात होने चाहिएं.

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष प्रज्ज्वलन के साथ हुआ. विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. कुल सचिव डॉ. जितेंद्र भारद्वाज ने विश्वविद्यालय परिवार की ओर से सभी का आभार व्यक्त किया. मंच का संचालन  डॉ. सुनीता भरतवाल तथा डॉ. स्नेहलता शर्मा ने किया. विश्वविद्यालय एवं शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की ओर से स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंटकर सम्मानित किया गया.

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