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भारत और नेपाल के सांस्कृतिक व आर्थिक संबंधों की मजबूती पर संगोष्ठी

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देहरादून (विसंकें). भारत और नेपाल के सांस्कृतिक और आर्थिक व सुरक्षा संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए आज अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद भारत और नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल द्वारा भारत-नेपाल के बीच सुरक्षा एवं रक्षा संबन्धी मामलों पर दो दिवसीय गोष्ठी का आयोजन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट, देहरादून में किया गया. जिसमें भारत और नेपाल के कई सुरक्षा और विदेश मामलों के जानकार भाग ले रहे हैं. गोष्ठी का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया.

इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने कहा कि भारत और नेपाल कोई अलग-अलग राष्ट्र नहीं है, अपितु उत्तराखण्ड का विशेष रिश्ता नेपाल के साथ है, जिसमें बहु-बेटी, सांस्कृतिक, आर्थिक और कहें तो आपस में खून का रिश्ता है. उन्होंने नेपाल के साथ गहरे और दीर्घकालिक रिश्ते बताते हुए कहा कि हमारे बीच कोई घुसपैठ न हो. कई लोग हमें अलग करने की कोशिश में लगे हैं, इसे रोकने के लिए आम समाज तक हमारी पहुंच होनी चाहिए. हमारी संस्कृतियों पर दुनिया विश्वास करती है और वैश्विक परिपेक्ष्य में हमें एकता बनानी है.

नेपाल के पूर्व विदेश सचिव मधु रमण आचार्य जी ने भारत के साथ आपसी सम्बन्धों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टि से एक दूसरे को हमें सहायता प्रदान करनी चाहिए और किसी भी मामले को राजनीति की भेंट नहीं चढ़ाना चाहिए.

अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्याम पराण्डे जी ने कहा कि हम लोग सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, धार्मिक व आध्यात्मिक रूप से एक हैं और हम वसुधैव कुटुम्बकम के भाव से काम करते हैं. हमारी पहचान हिन्दुत्व से है. शत्रुपक्ष हम दोनों को अलग कराना चाह रहा है, इसलिए हमको मिलकर, आपस में समन्वय बना कर कार्य करना होगा. तभी हम विश्व का नेतृत्व कर पाएंगे.

पूर्व विदेश सचिव भारत सरकार एवं संरक्षक अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद शशांक जी ने कहा कि जो भारत में रहता है, उसमें भारतीयता मूलरूप से होती है, चाहे मुस्लिम हो या ईसाई. दुनिया में हमारे और नेपाल के सम्बन्धों को हानिकारक बताया जा रहा है. यहां तक कि हमें बौद्धों का संहारक भी बताया जाता है, जबकि बुद्ध को हमने भगवान माना है. दो दिवसीय गोष्ठी में दोनों देशों के अपसी सम्बन्धों और उनके समक्ष आने वाली चुनौतियों की चर्चा की जाएगी. गोष्ठी का संचालन गोपाल अरोड़ा जी ने किया, इस अवसर पर भारत और नेपाल के कई पूर्व सैन्य अधिकारी और प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे.

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