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भारत की महान संस्कृति की संरक्षक है मातृशक्ति

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परिवार और पर्यावरण को संरक्षण देने के संकल्प के साथ बैठक सम्पन्न

रांची (विसंकें). राष्ट्र सेविका समिति की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारिणी बैठक रांची स्थित सरला बिरला विश्वविद्यालय के सभागार में सम्पन्न हुई.

त्रिदिवसीय बैठक में कहा गया कि किसी भी देश की पहचान उसके समाज, समाज के व्यवहार, उसकी कृति एवं उसके घरों से होती है. घर कहते ही पवित्रता, स्वच्छता, शुद्धता, धार्मिकता, आत्मीयता, संस्कार, सत्संग, सादगी, समरसता, सत्य प्रियता आदि शब्दों का स्मरण होने लगता है. हिन्दू घर से अपेक्षा है कि वहां हिन्दुत्व के संस्कारों का प्रकटीकरण, हिन्दुत्व भाव का जागरण एवं परस्पर आत्मीयता, श्रद्धाभाव तथा अतिथि सम्मान हो. यह सब हम नारियों के कंधों पर ही है. हम सब अपनी शाखाओं पर अपनी बहनों के बीच ऐसे सशक्त भारत की कल्पना को साकार करने को हिन्दुत्व भाव को जागृत करते हैं. डॉ. एनी बेसेंट ने कहा था – “हिन्दुत्व ही वह मिट्टी है, जिसमें भारत की जड़ें गहरी जमी हुई हैं, और यदि उस भूमि से उसे उखाड़ दिया गया तो भारत वैसे ही सूख जाएगा, जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाड़ने पर सूख जाता है.

बैठक में नारीशक्ति के स्वाभिमान को जागृत करते हुए कहा गया कि “मातृशक्ति गुरु से भी अधिक वंदनीय है, क्षमा की प्रतिमूर्ति है, साक्षात ईश्वर का स्वरूप है. विश्व कल्याण की प्रतिमा है. नारी के बिना नर अपूर्ण है. हिन्दू संस्कृति का प्रधान केंद्रीय तत्व भाव संवेदना है, इस गुण की प्रचुरता जिसमें है वह नारी शक्ति ही संस्कृति के विकास में एक धुरी की भूमिका निभाती आई है. विश्व में हिन्दू चिंतन ही नारी को सर्वोपरि सम्मान देता है. सेमेटिक मजहब में प्रकृति व स्त्री भोग की वस्तु मानी गई, इससे नैतिक पतन बढ़ा है. भारत की महान संस्कृति का संरक्षक यदि कोई है तो वह अपनी मातृशक्ति ही है.

बैठक के समापन के उपरांत राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय प्रमुख संचालिका शांता कुमारी उपाख्य शांता अक्का जी ने नीम के पौधे का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. उन्होंने कहा कि भूमि, जल, वायु, जीव जंतु और वनस्पतियों के रूप में बाह्य पर्यावरण और आत्मा के रूप में आंतरिक पर्यावरण दोनों ही परमात्मा के बनाए हुए हैं. उनकी एकात्मता को समझा जाना चाहिए. इसके नष्ट होने से प्रदूषण होता है. आज पर्यावरण में असंतुलन पैदा हुआ है, इसके हम सब दोषी हैं. अपनी परंपराओं में वृक्षारोपण एक अति महत्वपूर्ण कार्य माना गया है.

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