जयपुर. भारत तिब्बत सहयोग मंच एक मार्च तक देशभर में एक लाख नए कार्यकर्ता जोड़ेगा. मंच के समस्त कार्यकर्ता तिब्बत और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए घर-घर संपर्क करके, रैलियों और गोष्ठियों के माध्यम से जनांदोलन चलाएंगे. मंच की जयपुर में आयोजित चिंतन बैठक में निर्णय लिया गया कि तिब्बत और कैलाश मानसरोवर की चीन से मुक्ति के लिए सबसे पहले चीन की आर्थिक कमर तोड़ना जरूरी है, इसके लिए चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के संदेश को घर-घर तक पहुंचाने के अभियान को और तेज किया जाए. अभी तक केवल त्योहारों पर ही इस विषय पर जोर दिया जाता रहा है. इसके साथ ही विदेशों में भी मंच का कार्यविस्तार करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ाया जाए.
चिंतन बैठक में तिब्बत में चीन द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को लेकर निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया. मंच के मार्गदर्शक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने कहा कि जब एक लाख कार्यकर्ता एक साथ एक काम में जुटेंगे तो उसके परिणाम अच्छे आएंगे.
बैठक में यह भी चर्चा हुई कि चीन में व्यापार कर रही दूसरे देशों की कंपनियों का चीन से मोह भंग हो रहा है. ऐसी कंपनियों को भारत में लाया जाए. इसके लिए मंच की ओर से केन्द्र सरकार को पत्र भेजा जाएगा. मंच का शिष्टमंडल भी प्रधानमंत्री से मुलाकात करेगा.
बैठक में निर्णय किया कि नागरिकता संशोधन कानून देश में रह रहे हिन्दू, इसाई, जैन, बौद्ध, सिक्ख विस्थापितों (पाक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए) के लिए लाया गया है, लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी दल इसे लेकर देश का माहौल खराब कर रहे हैं. इसलिए राष्ट्रहित में मंच की सभी इकाइयों को अपने अपने क्षेत्र में सीएए को लेकर रैलियां व गोष्ठियां करके जनजागरण करने का निर्णय लिया गया.
तिब्बत और मानसरोवर की मुक्ति आंदोलन जैसे जैसे घर घर पहुंचेगा, चीन को आर्थिक नुकसान भी बढ़ता जाएगा.