करंट टॉपिक्स

भास्कर का खुलासा – इंदौर में घरों में हो रहा उपचार, चोरी छिपे खरीदे जा रहे लाखों के उपकरण व दवाईयां

Spread the love

इंदौर. तबलीगी जमात भारत में कोरोना वायरस का सबसे बड़ा माध्यम बनकर उभरा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के 30 प्रतिशत मामले जमातियों से जुड़े हैं. बीते दिनों जमातियों द्वारा देश के अलग अलग हिस्सों में स्वास्थ्यकर्मियों पर थूकने और पत्थर बरसाने के मामले भी सामने आये और अब मध्यप्रदेश में कोरोना का हॉटस्पॉट बने इंदौर से आ रही दैनिक भास्कर की स्टिंग रिपोर्ट एक और बड़े खतरे की तरफ इशारा कर रही है.

इंदौर शहर में कोरोना संदिग्ध को ढूंढने गयी स्वास्थ्य विभाग की टीम पर पत्थरबाज़ी भी की गयी थी. इस पत्थरबाज़ी में कई स्वास्थ्यकर्मी घायल भी हुए थे, जिसके बाद राज्य सरकार ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज किया था.

दैनिक भास्कर ने एक ओर खुलासा किया है. भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इंदौर के कुछ क्षेत्रों में घरों में ही रोगियों का उपचार किया जा रहा है. इन क्षेत्रों में लाखों के उपकरण व दवाईयां खरीदी जा रही हैं. आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि चोरी छिपे इनकी खरीद हो रही है. जिससे सवाल उठना लाजमी है.

कब्रिस्तानों में शवों का ढेर

भास्कर ने ही 09 अप्रैल को प्रकाशित रिपोर्ट में खुलासा किया था कि माह के पहले आठ दिनों में शहर के चार कब्रिस्तानों में 163 शव दफनाए गए. जबकि मार्च के पूरे महीने में मात्र 130 शव इन कब्रिस्तानों में लाये गए थे. इस रिपोर्ट के बाद स्वस्थ्य विभाग व प्रशासन ने मामले की जांच भी शुरू की थी. परिजनों ने किसी में भी कोरोना के लक्षण होने से पूरी तरह इनकार कर दिया था.

कलेक्टर मनीष सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि इन मौतों की जांच करवा रहे हैं. जिनकी मृत्यु हुई है, उनके परिजन से बातचीत में फिलहाल ये सामने आया है कि किसी में कोरोना के लक्षण नहीं थे.

घरों में कर रहे कोरोना का इलाज

अब 20 अप्रैल को दैनिक भास्कर ने इस स्टिंग का दूसरा भाग जारी किया. इस रिपोर्ट के अनुसार इंदौर के मच्छी बाजार, बंबई बाजार जैसे कोरोना प्रभावित इलाकों में अचानक बड़ी संख्या में लाखों के ऑक्सीजन जनरेटर, मास्क, पीपीई किट, कोरोना के लक्षणों का इलाज करने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसी दवाइयां खरीदी जा रही हैं. यही नहीं, इन इलाकों में चोरी-छिपे इलाज किया जा रहा है और मौतें भी हो रही हैं.

मेडिकल उपकरणों की खरीदी और डिलीवरी भी चोरी-छिपे की जा रही है. डिलीवरी लेने के लिए जो गाड़ी आ रही है, उसके पास खाद्य सामग्री वितरण के लिए जारी किया गया कर्फ्यू पास मिला है. इन मशीनों और दवाओं के सप्लायर को भुगतान मुंबई की एक कुरियर कंपनी के खाते से किया जा रहा है.

भास्कर ने सप्लायर और खरीददार की बातचीत का विवरण भी छापा है –

  1. आज मामला बहुत स्ट्रिक्ट है, सामान कल कलेक्ट करता हूं…

सप्लायर : आ जाऊं?

वाजिद : नहीं, आज मत आओ, मामला बहुत स्ट्रिक्ट है.

सप्लायर : पास है न गाड़ी पर?

वाजिद : हां, पर गाड़ी पेशेंट को लेकर मयूर हॉस्पिटल गई है.

  1. ऑक्सीजन कम क्यों आ रही.. रात को पेशेंट एक्सपायर हो गया…

सप्लायर : फोन किया था आपने?

वाजिद : पहले दो मशीन दी थी न आपने फिलिप्स की, उसमें ऑक्सीजन कम क्यों आ रही?

सप्लायर : आप बॉटल का ढक्कन टाइट करो, कनेक्टर लगा दो. सही हो जाएगा.

वाजिद : फिलिप्स की जो (ऑक्सीजन कंसंट्रेटर) है न, उसमें प्रेशर आ नहीं रहा. इससे रात को पेशेंट एक्सपायर हो गया. आप जो लाए थे चार मशीन पहले, दिन में उसको लगाई थी.

ऐसा क्या हुआ कि शाम को एक पेशेंट एक्सपायर हो गया? पेशेंट लेट नहीं रहा था. बार-बार उठकर बैठ रहा था.

सप्लायर : नहीं-नहीं, लेटने-वेटने से कुछ नहीं होता.

वाजिद : रात को दो-तीन जनों को और लगाई थी मैंने. फिलिप्स के साथ मास्क भी नहीं आया. दूसरी कंपनी वाली (मशीन) के साथ तो है.

सप्लायर : मशीन डोमेस्टिक के लिए बनी है. इसमें नहीं आता मास्क.

वाजिद : आपके पास है ऑक्सीजन मास्क? ट्यूब लगा रहे हैं तो नाक में जाती है. घबराहट भी हो रही. 5 मास्क का बोला है मैंने. आपके पास हो तो भेजो.

भास्कर ने मुंबई की एक कंपनी के माध्यम से सप्लायर को भुगतान का दावा किया है. रिपोर्ट के अनुसार एक बार 93 हजार, और दूसरी बार 1.28 लाख रुपये का भुगतान हुआ है.

स्पष्ट है कि क्षेत्र में कुछ न कुछ गड़बड़ तो चल रही है. जिसे छिपाया जा रहा है. और यदि जल्द पता नहीं लगाया गया तो स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है. कारण, इंदौर शहर में ही अभी तक कोरोना पॉजिटिव के 900 मामले सामने आ चुके हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *