नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव की घोषणा से पूर्व राजनीतिक दलों की गतिविधियां तेज व हलचल हो गई हैं. चुनाव आयोग ने भी लोस चुनावों को लेकर कमर कस ली है. इस बार चुनाव आयोग कुछ बड़े निर्णय ले सकता है. जिसका सीधा प्रभाव राजनीतिक दलों के साथ ही सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले लोगों पर भी पड़ सकता है.
दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर भी मतदान से 48 घंटे पहले प्रतिबंध लग सकता है. कहा जा रहा है कि इस पर चुनाव की तिथियों के साथ ही या उससे पहले निर्णय लिया जा सकता है. यदि इस सुझाव पर अमल होता है तो फिर कोई भी मतदान होने के 48 घंटे पहले प्रचार से संबंधित कोई सामग्री साझा नहीं कर पाएगा.
चुनाव आयोग ने एक कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के तहत सुझाव दिया है कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर को किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में इससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी को देने से 48 घंटे पहले रोक लगा दी जाए. इसके साथ ही ये रोक मतदान समाप्त होने तक लागू रहे.
कमेटी का कहना है कि चुनाव आयोग के अलावा सभी दलों और विधि आयोग में इस बारे में एक राय है. ऐसा इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया मतदान से पहले मतदाता के मन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है. किसी भी उम्मीदवार अथवा पार्टी के बारे में झूठी पोस्ट या फिर फर्जी वीडियो वोटरों पर आखिरी वक्त में गलत प्रभाव डाल सकता है. इसलिए इस पर रोक लगाने की बात चल रही है. कह सकते हैं कि सोशल मीडिया के प्रभाव को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस पर विचार शुरू किया.
अभी तक जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के तहत मतदान के 48 घंटे पहले से जनसभा, रैली या चुनाव प्रचार पर रोक लग जाती है. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सिनेमेटॉग्राफी के माध्यम से भी प्रचार पर प्रतिबंध रहता है.