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मतांतरण के मूल में है सामाजिक भेदभाव – संजीवन जी

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शिमला (विसंकें). जातिगत विद्वेषों को मिटाये बिना सामाजिक समरसता के लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता. समाज में जातिगत विद्वेषों के कारण ही मतांतरण की समस्या देखने को मिल रही है. देवभूमि जनसेवा संस्थान जुब्बल द्वारा पैलेस व्यू होटल में मतान्तरण – समस्या व समाधान विषय पर आयोजित संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार जी ने कहा कि समाज से छुआछूत दूर करने के लिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जाग्रत करना होगा. देवभूमि में मतांतरण की घटनाएं बेहद शर्मनाक हैं, अवैध रूप से हो रहे मतांतरण को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सभी मानव एक ही परमात्मा की संतानें हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार के भेदभाव की समाज में कोई जगह नहीं है. समाज के बहुत से वर्ग अपने को उपेक्षित समझते हैं, जिसके मूल में सामाजिक कुरीतियां और भेदभाव है. जब समाज में किसी वर्ग की उपेक्षा की जाती है, तभी वह ऐसे रास्तों की तलाश शुरू करता है. जहां पर उससे भेदभाव न किया जा सके. विभाजनकारी शक्तियां इसी बात का फायदा उठाती हैं और कई तरह के प्रलोभनों के माध्यम से भोले भाले लोगों को मतातंरण जैसे कृत्यों की ओर प्रेरित करती हैं. उन्होंने लोगों को चेताया कि ऐसे लोगों का वास्तविक मकसद अपने धर्म का प्रचार करना नहीं होता, बल्कि यह समाज में आपसी फूट को बढ़ाने का ही काम करते हैं. ईश्वर एक है, भले ही उसको प्राप्त करने के रास्ते अलग-अलग हों. सभी धर्म उच्च मानवीय गुणों के विकास को बल देते हैं, जिससे समाज के सभी लोग एक हो सकें. परन्तु दुर्भाग्य से दूसरे धर्मों का विरोध करके अपने धर्म को प्राथमिकता देने वाले लोग समाज में आपसी भाईचारे को खत्म करना चाहते हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता जुब्बल के तहसीलदार कश्मीर सिंह जी ने की. इस अवसर पर अरूण फाल्टा द्वारा लिखित पुस्तक देवभूमि में छद्म ईसाइयत का मकड़जाल का विमोचन भी किया गया.

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