करंट टॉपिक्स

महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व में शौर्य व नैतिकता का अद्भुत समावेश था – नरेंद्र कुमार जी

Spread the love

स्वदेश, स्वधर्म व स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप – योगी आदित्यनाथ जी

लखनऊ (विसंकें). उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लखनऊ के गोमती नगर स्थित आई.एम.आर.टी. मैनेजमेंट कॉलेज में अवध प्रहरी पत्रिका द्वारा महाराणा प्रताप जयन्ती के उपलक्ष्य में प्रकाशित युवा शौर्य विशेषांक का विमोचन किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार जी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे. कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ.

योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि महाराणा प्रताप महान थे, अकबर नहीं. भारत में वनवासी समाज अपने को वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का वंशज मानता है और देश में थारू व बोडो जैसी अनेक जनजातियां उन्हीं से प्रेरणा लेकर राष्ट्रभक्ति का अप्रतिम उदाहरण पेश कर रही हैं. भारत में जाति की परम्परा से यहां की अखंडता कमजोर हुई है. उन्होंने कहा कि स्वदेश, स्वधर्म व स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप पर विशेषांक के विमोचन से उनके जीवन के विभिन्न पक्षों को समझने में सहायता मिलेगी. अतीत के प्रेरणा पुंजों में महाराण प्रताप का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है. अकबर ने केवल उसकी बादशाहत स्वीकार करने का प्रस्ताव महाराणा को भेजा था, परंतु उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि मित्रता की आड़ में विधर्मी को बादशाह के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते. यदि उस समय उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता तो आज क्या स्थिति होती, उसका अंदाजा लगाया जा सकता है. तब हम शायद महराणा का नाम भी नहीं जानते होते. उस समय भी एक पक्ष महाराणा प्रताप का था, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पराधीनता को स्वीकार नहीं किया तो दूसरा पक्ष उन राजाओं का था, जिन्होंने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली थी.

मुख्यमंत्री ने कारगिल युद्ध के समय पूर्वोत्तर की बोडो जनजाति के समर्पण की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि बोडो जनजाति ने पाकिस्तान के खिलाफ जंग जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. उन्होंने बताया कि जनजातीय लोगों में से अधिकांश अपने को हल्दी घाटी युद्ध के समय बचे हुए सैनिकों में से मानते हैं. यही कारण है कि वह अपने आप को लोकलज्जा के डर से समाज से अलग रखते हैं.

कार्यकम में विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र जी ने कहा कि महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व में शौर्य के अलावा नैतिकता का भी अद्भुत समावेश था. जब महाराणा के पुत्र अमर सिंह ने अब्दुल रहीम खानखाना परिवार की महिला सदस्यों को कैद कर लिया तो महाराणा प्रताप स्वयं खानखाना से क्षमा मांगने गए. उस समय महाराणा ने कहा था कि शत्रु परिवार की महिला सदस्यों की सुरक्षा करना भी मेरा दायित्व व राष्ट्रधर्म है. महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों में ही ऐसा नैतिक बल संभव है. स्वामी विवेकानंद जी की नैतिकता का उल्लेख करते हुए कहा कि शिकागो में जब स्वामी जी से मिलकर एक महिला ने विवाह का प्रस्ताव किया था और उसने एक पुत्र की इच्छा प्रकट की थी. तब स्वामी जी ने कहा था कि आप मुझे ही पुत्र के रूप में स्वीकार कर लीजिये. यह है हमारी नैतिकता.

नरेंद्र जी ने कहा कि आज देशभर में कई जागरण पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं जो समाज जागरण के क्षेत्र में काफी प्रयोग कर रही है. यह प्रयोग काफी सफल भी हो रहे हैं. अवध प्रहरी भी एक जागरण पत्रिका है, जिसने महाराणा प्रताप की जयंती के अवसर पर युवा शौर्य विशेषांक प्रकाशित करके सराहनीय कार्य किया है. उन्होंने कहा कि आज के समाचार पत्रों में विभिन्न समाचार भरे रहते हैं. लेकिन उनमें समाजहित के समाचारों की भारी कमी रहती है. यह कमी आज अवध प्रहरी जैसी जागरण पत्रिकाएं पूरा कर रही हैं.

आज भी दूर दराज के हिस्सों में समाचार पत्र नहीं पहुंच पाते हैं. वहां पर जागरण पत्रिकाएं ही अच्छे समाचारों को गांवों की जनता तक पहुंचाने का काम कर रही हैं.

उ.प्र. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष बृजलाल जी ने कहा कि जातीय भेद से उबरने की आवश्यकता 500 वर्ष पूर्व भी थी, आज भी है. जब तक जातीय बंधनों से मुक्ति नहीं होगी, तब तक देश और समाज में समरसता व्याप्त नहीं हो पाएगी. एकात्म मानववाद का दर्शन भी जाति से मुक्ति की कामना करता है.

विशेषांक संपादक प्रणय विक्रम सिंह जी ने कहा कि यह शौर्य विशेषांक हल्दी घाटी के उन अमर शहीद योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित करेगा, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का उत्सर्ग किया. महाराणा प्रताप अपने कालखंड के सबसे बड़े समाज सुधारक थे, जिन्होंने भीलों के साथ भोजन किया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *