बरेली (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल जी ने हिन्दुत्व को समझाते हुए बताया कि “हिन्दुत्व”…इसका कोई खांचा नहीं है, इसकी कोई आउटलाइन बाउंड्री नहीं है, क्योंकि इसमें हर दिन कोई भी व्यक्ति एक नया विचार देता है. इसमें एक नया एडिशन कर देता है. इसलिए सनातन परंपरा का एक प्रवाह है. यह प्रवाह निरंतर चलता है, निरंतर नई-नई बातें जुड़ती हैं, नई-नई खोज होती और ये नई खोजों को प्रोत्साहित करता है, नये विचार को स्वीकार करता है, उनका सम्मान करता है. इसी निरंतर प्रवाह को हम लोग कहते हैं हिन्दुत्व. हिन्दुनेस या हिन्दुत्व न कि इज्म, इज्म कहते ही एक वाद हो जाता है. वाद होता है तो एक सीमा बन जाती है तो एक परिभाषा निश्चित हो जाती है, जिसके अंदर रहना होता है.
मार्क्सवाद या समाजवाद या पूंजीवाद, ये सब इज्म हैं. इसी प्रकार मानो कोई बोल देता है कि क्रिश्चियनिज्म, इस्लामिज्म, तो इसमें एक निश्चित विचार है, उसको बदला नहीं जा सकता. उसमें एडिशन नहीं कर सकते. उसकी आलोचना भी नहीं कर सकते. सह सरकार्यवाह जी बरेली में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष के समारोप कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ब्रज प्रांत द्वारा फ्यूचर इंजीनियरिंग कालेज, बरेली में आयोजित संघ शिक्षा वर्ग 22 जून को संपन्न हुआ.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि लेकिन हिन्दुत्व इन सबकी छूट देता है, इसकी अनुमति देता है. इसलिए गांधीजी कहते हैं – सत्य की निरंतर खोज का नाम हिन्दुत्व है. इस खोज को विराम नहीं लगाना है. इसी खोज को महर्षि दयानंद अच्छी प्रकार से समझाते हैं, उसी सत्य को स्वामी विवेकानंद अलग तरह से समझाते हैं, आदि शंकराचार्य समझाते हैं, उपनिषद् समझाते हैं, भगवान बुद्ध समझाते हैं, उसी सत्य को महावीर समझाते हैं. हजारों लोग अपने-अपने प्रकार से उस सत्य को समझाते हैं. ये जो निरंतरता है, ये हमेशा नई, अच्छी चीजों को जोड़ते चलने का सनातन प्रवाह है, इसी को हिन्दुत्व कहते हैं. हिन्दुत्व एक व्यक्ति द्वारा शुरू किया गया नहीं है, एक पुस्तक को आधार मानकर नहीं चल रहा है. इसकी एक निश्चित परिभाषा नहीं है. हर दिन मानव का कल्याण, संपूर्ण सृष्टि का कल्याण, यही आधार है. इस पर जो विचार आएगा, वह हिन्दुत्व का ही प्रकाश करेगा. इसलिए हमने कहा, हिन्दुत्व एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया का नाम है. निरंतर चलने वाले प्रवाह का नाम हिन्दुत्व है.