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मौलाना साद को गिरफ्तारी से बचाने की जल्दी में क्यों सेक्युलर मीडिया?

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नई दिल्ली. निजामुद्दीन मरकज के बाद आरोपों से घिरे तथा गिरफ्तारी से बच रहे मौलाना साद को बचाने के लिए सेक्युलर मीडिया खुलकर सामने आ गया है. जल्दबाजी इतनी कि झूठ तक परोसने को तैयार है. मौलाना साद पर आरोप है कि तबलीगी जमात में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने को उकसा रहे थे. दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिलें में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उक्त बात कहते हुए एक ऑडियो का भी जिक्र है.

इसे लेकर झूठ की फैक्टरी बने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने आज एक स्टोरी की. उसने अपनी स्टोरी में दावा किया कि दिल्ली पुलिस की जांच में सामने आया है कि उक्त ऑडियो से छेड़छाड़ किया गया है. समाचार पत्र ने दिल्ली पुलिस के सूत्रों के हवाले से यह स्टोरी की है. स्टोरी सामने आते ही लिबरल गैंग एकदम टूट पड़ा और इसे प्रचारित किया जाने लगा. लेकिन कुछ ही देर में दिल्ली पुलिस ने उनके झूठ की हवा निकाल दी.

‘इंडियन एक्सप्रेस’ ने स्टोरी में दावा किया कि दिल्ली पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला है कि मौलाना साद की ऑडियो क्लिप से छेड़छाड़ की गई है, या अलग-अलग ऑडियो फाइल को जोड़कर बनाई गई है. पुलिस ने मरकज के ही एक सदस्य के लैपटॉप से 350 ऑडियो क्लिप्स मिले थे. ये सभी ऑडियो क्लिप्स तीन तरह के हैं. कुछ ऑरिजनल हैं और कुछ बदले हुए हैं जो जमातियों को भेजे गए. कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें यूट्यूब पर अपलोड के लिए. इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया कि पुलिस को ऐसा कोई ऑडियो क्लिप नहीं मिला है, जिसमें मौलाना साद जमातियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने की बात कह रहा हो. जांच टीम उस वीडियो को ढूंढ रही है.

झूठी खबर को लिबरल गैंग ने हाथों हाथ लिया, और प्रचारित करना शुरू कर दिया. लेकिन दिल्ली पुलिस ने थोड़ी देर में ही झूठ की गाड़ी को रोक दिया. दिल्ली पुलिस ने इंडियन एक्सप्रेस की स्टोरी को रिट्वीट करते हुए लिखा – 9 मई को Tablighi FIR: Police probe indicates Saad audio clip was doctored शीर्षक से प्रकाशित समाचार न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि अविश्वसनीय स्रोत तथा पूर्णतया अपनी कल्पना पर आधारित है.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि स्टोरी में संवाददाता द्वारा जांच को लेकर किए गए दावे आधारहीन हैं. दिल्ली पुलिस किसी भी रूप में स्टोरी की पुष्टि नहीं करती है, और न ही संवाददाता ने किसी आधिकारिक स्रोत से बात की है.

मुस्लिम समुदाय के सभी मौलवियों में से मौलाना साद सबसे ज्यादा प्रभावशाली है. यही कारण है कि अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. लॉकडाउन की घोषणा के बाद भी मजहबी कार्यक्रमों का आयोजन होता रहा, सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का उल्लंघन हो रहा. कार्यक्रम में शामिल सैकड़ों विदेशी जमाती कोरोना पॉजिटिव पाए गए. इतना ही नहीं जमातियों को खोजने गई पुलिस पर हमले किए गए. और अब मौलाना साद क्वारेंटाइन का बहाना करके अपने पक्ष में अन्य मौलवियों का समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है.

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