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युनेस्को ने कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया

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संयुक्त राष्ट्र संघ संस्था यूनेस्को ने भारत में होने वाले कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर का दर्जा दिया है. दक्षिण कोरिया के जेजू में 4-9 दिसंबर तक हुए 12वें सत्र में कुंभ मेले को यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया है.

योग के बाद कुंभ मेले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिली यह पहचान किसी भारतीय संस्कृतिक धरोहर को मिला लगातार तीसरा खिताब है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक यूनेस्को की विशेषज्ञ समिति ने कुंभ मेले को प्रतिनिधि सूची में शामिल करने का यह फैसला सभी सदस्य देशों की ओर से मिले प्रस्तावों की विवेचना के बाद किया.

समिति ने पाया कि कुंभ मेला धरती पर सबसे बड़ा शांतिपूर्ण धार्मिक सम्मेलन है जो सभी मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संधियों के अनुरूप है. इसमें बिना किसी भेदभाव के विभिन्न वर्गों के लोग भाग लेते हैं. विशेषज्ञ समिति ने माना कि एक धार्मिक आयोजन के तौर पर कुंभ मेले में जिस तरह सहिष्णुता और समायोजन नजर आता है वो पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है.

यूनेस्को ने इस बात को भी माना कि कुंभ मेले से जुड़ा ज्ञान गुरु-शिष्य परंपरा के जरिए एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता है. इसके कारण मेले के आयोजन की निरंतरता भी सुनिश्चित होती है. महत्वपूर्ण है कि कुंभ मेला हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन औऱ नासिक में लगता है. कुंभ आयोजन की कहानी देवासुर संग्राम और समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश से जुड़ी है.

यूनेस्को ने 2003 में हुई महासभा में एक अंतरराष्ट्रीय संधि के जरिए अमूर्त सांस्कृतिक धरोहरों को भी सुनिश्चित करने का फैसला किया था. संयुक्त राष्ट्र संस्था में बनी सहमित के अनुसार सांस्कृतिक धरोहर स्थान, इमारत और वस्तुओं जैसी मूर्त चीजों से अधिक है.

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