नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दिल्ली प्रांत आगामी वर्ष में दैनिक शाखाओं में वृद्धि के साथ ही सामाजिक समरसता को मजबूत करने तथा विभिन्न क्षेत्रों विशेषकर युवाओं में, राष्ट्रीयता की भावना के और अधिक विस्तार की दिशा में काम करेगा. दिल्ली प्रांत सह संघचालक आलोक कुमार जी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि देशभर में पिछले वर्ष 1 लाख 4 हजार स्वयंसेवकों ने प्राथमिक शिक्षा वर्ग में हिस्सा लिया.
उन्होंने कहा कि दिल्ली प्रांत में इस समय 1805 शाखाएं चल रही हैं और आगामी वर्ष में इनमें 15 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. दिल्ली में ही लगभग 462 सेवा प्रकल्प भी चल रहे हैं. जो मूलत: सेवा बस्तियों में रहने वालों के सशक्तिकरण का काम कर रहे हैं. दिल्ली में संघ का सामाजिक समरसता पर विशेष बल है. इसके लिए पिछले साल कई रामलीलाओं से संपर्क कर उनसे भगवान वाल्मीकि की आरती रामलीला मंचन के दौरान करने का आग्रह किया गया था. बड़ी संख्या में रामलीला समितियों ने इसे स्वीकार किया. इस वर्ष इसका और अधिक विस्तार किया जाएगा.
इसी प्रकार फरवरी 2017 में युवाओं व कला तथा संस्कृति के आठ विभिन्न पक्षों पर राष्ट्रवादी विचारधारा पर केंद्रित उत्सव ‘ उड़ान ‘ के दूसरे संस्करण का भी सफलतापूर्वक आयोजन किया गया. इस आयोजन में लघु फिल्म उत्सव, नुक्कड़ नाटक, रचनात्मक लेखन आदि विषयों पर युवाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया. दिल्ली के 40 से अधिक प्रमुख व प्रतिष्ठित कॉलेजों की टीमों ने इस उत्सव में हिस्सा लिया.
आलोक जी ने कहा कि आने वाले साल में केरल तथा पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा तथा वहां राष्ट्र विरोधी ताकतों के प्रभाव और बढ़ती उपस्थिति के विरोध में दिल्ली प्रांत में भी देश के अन्य हिस्सों की तरह कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
पश्चिम बंगाल में जिहादी तत्वों के निरन्तर बढ़ रहे हिंसाचार, राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के चलते राष्ट्र विरोधी तत्वों को दिये जा रहे बढ़ावे तथा राज्य में घटती हिन्दू जनसंख्या के प्रति, गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत-बांग्लादेश सीमा से मात्र 8 किमी अन्दर स्थित कालियाचक (मालदा) पुलिस स्टेशन पर राष्ट्र विरोधी जिहादी तत्वों द्वारा आक्रमण कर लूट-पाट करने, आपराधिक रिकार्ड जला देने तथा राज्य में अनेक स्थानों पर सुरक्षा बलों पर हमलों की बढ़ती घटनाएं, राष्ट्रीय सुरक्षा व कानून व्यवस्था के लिये गंभीर चुनौती बन गई हैं. कट्टरपंथी मौलवियों द्वारा हिंसा को बढ़ावा देने वाले फतवे खुलेआम जारी किए जा रहे हैं. कटवा, कलिग्राम, ईलाम बाजार, मेटियाबुरुज (कोलकाता) सहित अनेक स्थानों पर कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दू समाज पर आक्रमण किये जा रहे हैं. कट्टरपंथियों के दबाव में सीमावर्ती क्षेत्रों से हिन्दू समाज बड़ी संख्या में पलायन को विवश हो रहा है. इन्हीं तत्वों द्वारा जाली मुद्रा तथा गोवंश की तस्करी व घुसपैठ को निरन्तर बढ़ावा दिया जा रहा है. वर्धमान बम विस्फोट की जांच करते समय एन.आई.ए. ने पाया कि पूरे राज्य में कई आतंकी समूह (माड्यूल) सक्रिय हैं तथा जिहादी आतंकियों का यह जाल सीमा के दोनों ओर फैला हुआ है.
केरल की परिस्थिति भी विचारणीय है. विधानसभा में साम्यवादी दल को प्राप्त विजय के पश्चात संघ कार्यकर्ताओं पर हमलों की संख्या बढ़ी है. बालक, महिला, वयोवृद्ध, युवक इनके आक्रमणों के शिकार बने हैं. प्राण हानि के साथ खेती, उद्योग, घरों को नष्ट करने की घटनायें एक द्वेष मूलक, असहिष्णु मानस को दर्शाते हैं. लोकतंत्रात्मक मार्ग से सत्ता तक पहुँचने वालों का यह दायित्व बनता है कि जन सामान्य को सुरक्षा एवं प्रशासन के प्रति विश्वास के लिये आश्वस्त करें.