करंट टॉपिक्स

राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में जम्मू कश्मीर में समस्या गंभीर होती गई – दीपक विसपुते

Spread the love

आर्टिकल 370 व 35ए हटाने पर भारतीय संसद का नागरिक अभिनंदन

रायपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक दीपक विसपुते जी ने कहा कि भारतीय संसद द्वारा आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A को हटाने का निर्णय अभूतपूर्व था. यह निर्णय भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा लिया गया है, यह वास्तव में गत 72 वर्षों से चली आ रही भ्रम की स्थिति को हमेशा के लिए समाप्त करने वाला है. दीपक जी रायपुर समता कॉलोनी में स्थित महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल कॉलेज के सभागार में राष्ट्रीय सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित भारतीय संसद का नागरिक अभिनंदन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से 72 वर्षों तक आर्टिकल 370 और 35A पर पाकिस्तान कभी भी भ्रमित नहीं रहा, उनके इरादे पक्के रहे. किन्तु भारत हमेशा भ्रमित रहा और भारत की राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में यह समस्या और गंभीर बनती चली गई. परिणाम स्वरूप जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों के मंसूबे मजबूत होते चले गए और हम देखते रहे. जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान का रुख प्रारम्भ से ही स्पष्ट था, हम उसे ठीक से समझ नहीं पाए.

देश की आजादी के समय ही कश्मीर रियासत के महाराजा हरिसिंह ने अपनी रियासत को भारत में मिलाने के विलय पत्र पर बिना शर्त हस्ताक्षर किए थे. तब तक स्पष्ट था कि, जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, लेकिन बाद में आर्टिकल 370 और 35A पिछले दरवाजे से जोड़ा गया, जिसके लिये संसद के दोनों सदनों का समर्थन भी नहीं लिया गया और ये समस्या आगे बढ़ती चली गई.

दीपक जी ने कहा कि जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला कश्मीर का सुल्तान बनना चाह रहे थे और हमें ब्लैकमेल करना शुरू किया. सन् 1964 से 1967 के बीच लालबहादुर शास्त्री जी ने इस विषय को हैंडल किया. सितम्बर 1964 में संसद में आर्टिकल 370 पर डिबेट हुई तो उस वक्त 27 सांसदों में 4 सांसद जम्मू कश्मीर के थे, जिन्होंने इस आर्टिकल को समाप्त करने की अपील की थी. किन्तु बाद के वर्षों में राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में इस पर सही निर्णय नहीं हो सका, और तुष्टिकरण की राजनीति शुरू हुई. 1990 में तो हद पार हो गई, जब वहां से कश्मीरी पंडितों को मार-मार कर भगाया गया जो आज भी देश के अन्य भागों में शरणार्थियों की जिंदगी जी रहे हैं. पाकिस्तान के इशारे पर जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को पनाह मिली और जम्मू कश्मीर की आम जनता को हमेशा दहशतगर्दी में जीने के लिए मजबूर किया गया. कुछ मुठ्ठी भर लोग अपने स्वार्थ के कारण भारत को आंख दिखाते रहे. आज भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और संसद के द्वारा इस अस्थायी आर्टिकल को समाप्त करते हुए एक बड़ा साहसिक निर्णय लिया है. अब हम अखण्ड भारत की ओर एक कदम आगे बढ़े हैं. ऐसे समय में संसद का नागरिक अभिनंदन करना गौरव की बात है.

कार्यक्रम में मंच पर पूर्व कर्नल जे. एस. कक्कड़, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट आशीष सोनी और प्रसिद्ध व्यवसायी अमर पारवानी ने भी भारत सरकार के साहसिक निर्णय का समर्थन किया.

राष्ट्रीय सुरक्षा मंच के संयोजक डॉ. राजेन्द्र दुबे ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी महानुभावों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन प्रभात मिश्र ने किया. इस अवसर पर प्रबुद्ध नागरिक, माता-भगिनी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *