चित्रकूट. रामचरित मानस को सरल, सहज और सरस तरीके से प्रस्तुत करने वाले प्रख्यात मानस मर्मज्ञ संत मोरारी बापू की सादगी एवं आध्यात्मिक निष्ठा का कोई सानी नहीं है. उन्हें हम वर्तमान का तुलसीदास भी कह सकते हैं. धार्मिक जगत के इतिहास में संत श्री मोरारी बापू एक दुर्लभ व्यक्तित्व हैं.
राजापुर से खासा लगाव रखने वाले संत मोरारी बापू को जब पता चला कि राजापुर थाना क्षेत्र में सुरवल गांव के मजरा बेहना पुरवा में विगत 10 मई की शाम को तेज आंधी के चलते आग लगने से पूरे गांव को आग ने अपनी चपेट में ले लिया था.
मुस्लिम समुदाय बहुल इस गांव में काफी हानि को देखते हुए संत मोरारी बापू ने अपने सेवक बनारस के कारोबारी जालान ग्रुप के मालिक एवं समाजसेवी किशन जालान को संदेश भेजा कि आपदा काल में अपना समाज धर्म निभाते हुए बेहना पुरवा के लोगों को तात्कालिक मदद पहुंचाना सुनिश्चित करें.
फिर क्या था राम भक्त हनुमान की तरह अपने प्रभु के संदेश को आज्ञा मानकर जालान ने अपने सामाजिक कार्यों में सहयोगी दीनदयाल शोध संस्थान को इस काम के लिए माध्यम बनाया.
दीनदयाल शोध संस्थान के प्रकल्प तुलसी कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां के कार्यकर्ता राजापुर क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव बेहना पुरवा पहुंचे. जहां आग से हुई हानि की जानकारी ली, और 38 परिवारों की सूची तैयार की. जिनका आग ने सब कुछ तबाह कर दिया था.
उसके बाद समाजसेवी किशन जालान ने दीनदयाल शोध संस्थान के माध्यम से सभी परिवारों को पांच-पांच हजार रुपए की तात्कालिक सहायता नकद राशि के रूप में उपलब्ध कराई. उपरोक्त राशि को राजापुर तहसीलदार पुष्पेंद्र सिंह एवं दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं द्वारा सभी 38 परिवारों के मुखियाओं को प्रदान किया गया.