अयोध्या. अयोध्या में रामजन्म भूमि के समतलीकरण के कार्य के दौरान मंदिर के अवशेष मिले हैं. जिससे तथ्य पुष्ट हो रहे हैं कि मंदिर को तोड़कर बाबर ने ढांचा बनाया था. अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए किए जा रहे समतलीकरण के दौरान शिवलिंग, वताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार स्तंभों सहित पत्थर की मूर्तियों के अवशेष मिल हैं. लॉकडाउन के दौरान श्री रामजन्मभूमि परिसर में भूमि को समतल करने का कार्य 11 मई से चल रहा है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट महासचिव व विहिप उपाध्यक्ष चंपत राय ने बताया कि अवशेषों में फूलों की नक्काशी के साथ पुरातात्विक कलाकृतियां और पत्थर के खंभे शामिल हैं. समतलीकरण के कार्य के दौरान 4.11 फीट का शिवलिंग, काले टचस्टोन के 7 नक्काशीदार स्तंभ, लाल बलुआ पत्थर के 6 नक्काशीदार स्तंभ और हिन्दू देवताओं की खंडित मूर्तियाँ भी मिलीं हैं. मूर्ति युक्त पाषाण के खंभे, प्राचीन कुआं एवं मंदिर के चौखट भी मिले हैं.
चंपत राय का कहना है कि प्रतिबंधों के कारण काम अभी भी धीमी गति से जारी है. भूमिगत संरचनाओं के नीचे हिन्दू मंदिरों की उपस्थिति की गवाही देंगे, जो दशकों से विवाद की वजह रही है. एएसआई के निष्कर्षों में भी स्पष्ट कहा गया था कि बाबरी मस्जिद के निर्माण स्थल के नीचे एक प्राचीन मंदिर के अवशेष थे.
उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के स्थल को साफ़ करने के लिए निर्माण कार्य को फिर से शुरू करने की अनुमति दी थी, जिसे कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण रोक दिया गया था. निर्माण का पहला चरण पहले 25 मार्च को शुरू हुआ था, जब उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ अयोध्या गए थे और अयोध्या शहर में संतों और साधकों के साथ “प्राण-प्रतिष्ठा” अनुष्ठान में भाग लिया था. जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति प्राप्त करने के बाद श्रीराम जन्मभूमि परिसर में भावी मंदिर निर्माण के लिए भूमि के समतलीकरण का कार्य प्रारंभ किया गया.
कार्य में तीन जेसीबी मशीन, एक क्रेन, दो ट्रैक्टर व 10 मजदूर लगे हुए हैं. कोरोना महामारी के संबंध में समय-समय पर जारी निर्देशों का पालन करते हुए मशीनों का उपयोग एवं सोशल डिस्टेंसिंग, सेनेटाइजेशन, मास्क आदि अन्य सभी सुरक्षा उपायों का प्रयोग किया गया है.
अवशेष सिद्घ कर रहे प्राचीन मंदिर की भव्यता
डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित का कहना है कि श्रीराम जन्मभूमि में समतलीकरण के दौरान मिले मंदिर के अवशेषों से स्पष्ट होता है कि यहां भव्य मंदिर रहा होगा. उन्होंने अन्य अवशेषों को सावधानीपूर्वक निकालने का आग्रह किया है ताकि वे नष्ट न हों.
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