भीलवाड़ा, चित्तौड़. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संघ विगत 90 वर्षों ऐसी साधना में प्रयत्नरत है कि भारत एक खुशहाल देश बने, समृद्धशाली बने एवं यहाँ की सनातन संस्कृति के मूल्यों का संवर्द्धन हो. संघ कुछ नहीं करेगा और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा, चाहे वो किसी भी प्रकार का क्षेत्र हो. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के समय से ही संघ का प्रयास है कि समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे. समाज में वर्ग भेद, जाति भेद व ऊँच-नीच का भेदभाव समाप्त हो. सरसंघचालक जी चित्तौड़ प्रांत के भीलवाड़ा विभाग के स्वयंसेवकों के एकत्रीकरण को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का प्रारम्भ सरसंघचालक प्रणाम से हुआ. तत्पश्चात् ध्वजारोहण व शारीरिक प्रदर्शन हुए. जिसमें रक्षक समता, मण्डल समता, गण समता, दण्ड प्रदर्शन, योगासन, नियुद्ध व घोष का प्रदर्शन हुआ. उसके बाद सामूहिक व्यायाम योग हुए.
सरसंघचालक जी ने कहा कि यह मेरा भीलवाड़ा का तीसरा प्रवास है, यह प्रवास एक नवीन रूप लिए हुए है क्योंकि सारे स्वयंसेवक नवीन गणवेश में हैं और मैं भी नवीन गणवेश में हूँ. गणवेश की पेंट का कपड़ा पूरे देश में भीलवाड़ा से ही गया है.
उन्होंने घोष और नियुद्ध के प्रदर्शन को अच्छा बताया. उन्होंने कहा कि 90 वर्ष से हम नित्य संघ कार्य कर रहे है. इसकी एक सुनिश्चित पद्धति है, लम्बे समय तक एक ही कृति करने की आदत हो जाती है, परन्तु हमें उस कार्य को सोच समझ कर करना चाहिए कि हम वह कार्य क्यों कर रहे है. हम दिखावे के लिए कार्य नहीं करते है. गुणवत्तायुक्त स्वयंसेवक तैयार हो, इसके लिए प्रयत्न करना चाहिये. संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है, जो सम्पूर्ण मानवता के हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है. जापान परमाणु बम हमले से पूरी तरह नष्ट हो गया था और इसी तरह चीन दो गृहयुद्धों में कंगाल हो गया था, फिर भी आज पुनः पूर्ण विकसित देशों की श्रेणी में खड़े हैं, जबकि भारत भी लगभग उनके साथ ही आजाद हुआ था. लेकिन भारत आज भी विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आने के लिए जूझ रहा है. इसके मूल कारणों में से एक कारण के बारे में स्वयं एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक में लिखा कि भारत देश ने पिछले 1000 वर्षों से शक्ति की आराधना छोड़ दी है. अपने लिये कुछ नहीं सोचकर, समाज के लिए सब कुछ लगा देना, समाज सुधारकों की धारा में हुआ. एक महात्मा जो जात-पात नहीं मानते, उनके सद्प्रयास भी मर्यादा में कैद रहे.
डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द आदि ने खूब प्रयास किये. लोगों ने स्वयं मोक्ष तो चाहा परन्तु समाज एवं देश के भाग्य परिवर्तन के लिए प्रयास कमजोर रहे. डॉ. हेडगेवार ने अपनी पूर्ण सक्रियता के साथ क्रान्तिकारी धारा, राजनीतिक समाज सुधार की धारा तथा रामकृष्ण मिशन आदि धार्मिक धाराओं में कार्य किया और जेल भी गये. परन्तु इन सब के पास हिन्दू समाज के संगठन के लिए समय नहीं था, क्योंकि ये सभी अपना-अपना कार्य कर रहे थे. इसके पश्चात् डॉ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की.
सरसंघचालक जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश, समाज के लिए कार्य करने वाला संगठन है. यह हिन्दू संस्कृति, मानवीयता, वसुधैव कुटुम्बकुम आदि पर आधारित है. इसका उद्देश्य एक राष्ट्र, एक संस्कृति, एक जन का गौरव जगाने का प्रयास है. स्वयंसेवक को अपनी योग्यता व आत्मीयता बढ़ाते हुए संघ कार्य करना चाहिये. हमें अपने विरोध करने वालों को संस्कारित करना है. यह आज की संघ सृष्टि है जो भारत सृष्टि है. भारत सुखी होगा तो सम्पूर्ण दुनिया का भाग्य परिवर्तन का महान कार्य होगा.
कार्यक्रम में भीलवाड़ा महानगर के साथ संघ दृष्टि से शाहपुरा, आसीन्द व भीलवाड़ा ग्रामीण जिले के स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित हुए. मंच पर सरसंघचालक जी के साथ उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के संघचालक डॉ. भगवती प्रकाश जी, भीलवाड़ा विभाग के संघचालक जगदीश जोशी जी उपस्थित थे.