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राष्ट्र की तेजस्विता बढ़ाने में महिलाओं का सहभाग होना चाहिए – डॉ. शरण रेणू जी

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जयपुर (विसंकें). राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख डॉ. शरण रेणू जी ने कहा कि राष्ट्र की तेजस्विता बढ़ाने में देश की अर्धांग महिलाओं का सहभाग होना चाहिए, क्योंकि महिलाएं परिवार का केन्द्र बिन्दु होने के साथ-साथ देश की भावी पीढ़ी की निर्माता भी हैं. डॉ. शरण जी जवाहर नगर, सेवाधाम में चल रहे सेविका समिति के प्रबोध वर्ग के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रही थीं.

उन्होंने कहा कि देश की तेजस्विता बढ़ाने के लिए देश की भावी पीढ़ी का देश के गौरवशाली इतिहास तत्व का चिन्तन, संस्कृति, गौरवशाली परम्परा से परिचय कराना उसका ही दायित्व है. जब भारत में रहने वाला सम्पूर्ण समाज अपने देश के गौरव से परिपूर्ण होकर देशभक्ति का भाव मन में लेकर खड़ा होगा तो राष्ट्र की प्रत्येक समस्या का समाधान हम खोज सकते हैं.

देश की वर्तमान परिस्थिति पर डॉ. शरण रेणू जी ने कहा, आज हम चर्चा करते हैं कि देश में लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं. अनाचार और अत्याचार बढ़ रहा है, भ्रष्टाचार का बोलबाला है. अधिकांश समाज अपने स्वार्थ और हित की पूर्ति के लिए ही तन्मय रहता है. देश की चिन्ता किसे है? इसलिए देश की हर समस्या से जूझने वाले विजयी प्रवृत्ति के संगठित समाज की आज परम आवश्यकता है. जिसके निर्माण में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका है.

उन्होंने कहा कि एक देशभक्त महिला महाराणा प्रताप, शिवाजी, गुरू गोविन्द सिंह, छत्रसाल, लक्ष्मीबाई, दुर्गावती जैसी संतानों को जन्म दे सकती है. इसी दिशा में राष्ट्र सेविका समिति अपनी नित्य शाखा और ऐसे प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से प्रयत्नशील है. समारोप कार्यक्रम में शिक्षार्थियों ने दण्ड, व्यायाम योग, योगासन, योगचाप, घोष का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय सपना जी ने करवाया. वर्ग प्रतिवेदन वर्गाधिकारी सरोज जी एवं आभार प्रदर्शन विजय राठी जी ने किया.

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