राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस पर पथ संचलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का आयोजन सांबा के पौराणिक किले में किया गया, जहां सर्वप्रथम सभी स्वयंसेवकों ने शक्ति पूजन किया. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ने शस्त्र पूजन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राज सिंह जी ने की.
राज सिंह जी ने कहा कि संविधान सेना के बाद यदि देश की सेवा में सबसे ज्यादा अगर किसी का योगदान है तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है. उन्होंने समाज से यह आह्वान किया कि समाज के हर वर्ग को, हर आयु के व्यक्तियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ना चाहिए ताकि वह देश हित में कार्य कर सकें.
जम्मू कश्मीर के प्रांत संघचालक ब्रिगेडियर सुचेत सिंह जी ने स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन् 1925 में विजयादशमी के दिन हुई थी. हमारा भारतीय समाज रोज एक नया उत्सव मनाता है. विजयादशमी उत्सव असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है, विजयादशमी के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इसीलिए हम आज के दिन शक्ति पूजन करते हैं. विजयादशमी के दिन ही भगवान राम ने रावण का वध किया था. उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र की शक्ति उसके समाज में है ना कि उसके भव्य स्वरूप या भव्य सेना में. समृद्धि व शक्ति उसके राष्ट्रभक्त समाज में निहित होती है.
इसके पश्चात पथ संचलन में 485 से अधिक स्वयंसेवक तीन वाहिनियों में बढ़ते हुए बाजार चौहटा चौक, नए बस अड्डे की ओर चले और शहर के विभिन्न स्थानों से होते हुए तीनों वाहिनियां मुख्य चौक में पहुंचते ही त्रिवेणी संगम की तरह विलीन हुईं. पथ संचलन अस्पताल रोड से होते हुए फिर किले तक पहुंचा, जहां कार्यक्रम का समापन हुआ.