शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च रात्रि 9 बजे रिकॉर्ड चौथी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. बहुत ही सादगीपूर्ण समारोह में मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली. शिवराज सिंह चौहान के नाम 13 वर्ष की लम्बी अवधि तक मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड है. उनसे पहले अर्जुन सिंह और श्यामाचरण शुक्ल तीन-तीन बार सीएम रहे हैं.
2018 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह के नेतृत्व में भाजपा कांग्रेस से ज्यादा वोट प्रतिशत और कुछ ही कम यानी 107 सीटें जीतकर सरकार बनाने में असफल रही थी. ज्योतिरादित्य सिंधिया के चेहरे और परिश्रम के बूते 114 सीटें जीतकर कांग्रेस ने बसपा व निर्दलीयों के सहयोग से कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई जो उपेक्षित व अपमानित ज्योतिरादित्य के कांग्रेस छोड़ते ही सुप्रीम कोर्ट के बहुमत परीक्षण के आदेश से पहले ही गिर गयी. सिंधिया के साथ ही कमलनाथ सरकार के 6 मंत्रियों सहित कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया था, जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
स्वच्छ, उदार और निर्विवाद किसान नेता शिवराज सिंह मध्यप्रदेश में मामा के रूप में लोकप्रिय हैं, 1990 में पहली बार वे बुधनी से विधायक चुने गए थे. 1991 के लोकसभा चुनाव में लखनऊ और विदिशा दोनों सीट से चुनाव जीते भाजपा के पर्याय पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ संसदीय क्षेत्र को चुना तो शिवराज विदिशा से लोकसभा का उपचुनाव लड़े और जीते. इसके बाद वे 1996, 1998, 1999 और 2004 में लगातार विदिशा से सांसद निर्वाचित हुए.
2003 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने शिवराज को तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ राघौगढ़ से खड़ा किया. तब उमा भारती भाजपा से मुख्यमंत्री की उम्मीदवार थीं. यह चुनाव शिवराज हार गए.
2003 में उमा भारती के सिर्फ 8 महीने और बाबूलाल गौर के 15 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की बैठक हुई, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, जसवंत सिंह, नरेंद्र मोदी और बाबूलाल मरांडी ने शिवराज के नाम पर मुहर लगाई. 2005 में बुधनी से विधायक चुने जाने के बाद 2008, 2013 और 2018 में भी शिवराज सिंह यहीं से निर्वाचित हुए.
29 नवंबर, 2005 को शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इससे पूर्व प्रदेश में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के 10 वर्ष के कार्यकाल से ही सड़क, बिजली, पानी की स्थिति बेहद खराब थी. विश्वास और काम के बल पर 2008 में दूसरी बार शिवराज के नेतृत्व में भाजपा ने 230 सीटों में से 143 पर जीत हासिल की. शिवराज का विजय रथ सारी आशंकाओं को दरकिनार करते हुए 2013 के विधानसभा चुनाव में और तेज गति से दौड़ा और भाजपा ने 165 सीटें जीतीं. 14 दिसंबर, 2013 को शिवराज तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.
सूर्य प्रकाश