ह्यूस्टन से फ्रैंकफर्ट- नागपुर और फिर मुंबई में साधा संपर्क
मुंबई (विश्व संवाद केंद्र). कोरोना महामारी के विकट संकट में देशभर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सहायता कार्य संचालित किये जा रहे हैं. कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने स्थानों पर भारतीय बंधुओं की सहायता करने की शुरुआत की है. मुंबई में 85 वर्षीय दम्पति और उनके दिव्यांग बेटे को तत्काल मिली मदद इस बात का उदाहरण है कि आरएसएस का विशाल नेटवर्क किस तरह काम करता है और सेवा-राहत कार्य में कितना सक्रिय रहता है.
मुंबई के विले पार्ले में रहने वाले लगभग 85 वर्षीय वृद्ध दम्पति के सामने भी अचानक सस्या खड़ी हो गई. दम्पत्ति अपने 52 वर्षीय दिव्यांग बेटे के साथ रहते हैं. उनका एक बेटा व बहू ह्यूस्टन में रहते हैं. मुंबई में मजूमदार दम्पति और दिव्यांग बेटे की देखभाल के लिए एक नर्स प्रतिदिन आती है. भोजन की व्यवस्था भी बाहर से थी. किन्तु, जनता कर्फ्यू (22 मार्च) वाले दिन नर्स नहीं आ पाई, न ही भोजन मिला. रात (भारत के समय अनुसार) को ह्यूस्टन में बहू से बात हुई तो उन्हें भी चिंता सताने लगी. लेकिन वे भी क्या कर सकते थे. तब उनकी बहू को हिन्दू स्वयंसेवक संघ (एचएसएस) के कार्यकर्ता का ध्यान आया. उन्होंने एचएसएस के कार्यकर्ता से बात की, और मुंबई में रह रहे अपने परिवार की व्यथा सुनाई.
हिन्दू स्वयंसेवक संघ के व्हाट्सएप समूह ‘यूथ फॉर सेवा’ के सदस्य नागपुर के अनिकेत को सारी व्यथा समझ में आई. अनिकेत ने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में रहने वाले अपने स्वयंसेवक मित्र आदित्य को कॉल किया,(पहले आदित्य मुंबई में ही रहता था). आदित्य ने मुंबई के स्वयंसेवक अमित केलकर का नंबर अनिकेत को दिया. अनिकेत ने सारा विषय अमित को समझाया और मजूमदार परिवार की जानकारी दी. इसके बाद अमित ने विले पार्ले में रहने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता जयेश शाह के माध्यम से वृद्ध दम्पति के परिसर में ही रहने वाले स्वयंसेवक को सारी जानकारी दी. स्वयंसेवक अगले दिन सुबह-सुबह दम्पति के घर पहुंचे और उन्हें सब प्रकार की सहायता दी. उनके भोजन का प्रबंध किया. मजूमदार दम्पति की वीडियो रिकॉर्ड कर अमेरिका के ह्यूस्टन में रहने वाले बेटे-बहू को भेज कर उन्हें आश्वस्त किया. दम्पति को अपना संपर्क नंबर भी दिया तथा समस्या होने पर बेहिचक बताने का आग्रह किया.