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लंबित मामलों का निपटारा शीघ्र होना चाहिये – अधिवक्ता परिषद

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पटना (विसंके). अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद् की तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिषद् की बैठक अग्रसेन भवन में संपन्न हुई. समापन सत्र को संबोधित करते हुए निवर्तमान अध्यक्ष बलदेव राज महाजन ने कहा कि सरकार को यथाशीघ्र न्यायालय में लंबित मामलों का निपटारा करने की व्यवस्था बनानी चाहिये. अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की स्पष्ट सोच है कि विलंबित न्याय कई बार अन्याय का पर्याय बन जाता है. अंग्रेजी में कहावत है कि ‘‘Justice delayed is Justice denied”. परिषद् से जुड़े अधिवक्ता सरकार के हर उस पहल के साथ हैं, जिससे अत्यधिक लंबित मामलों का निपटारा शीघ्र हो सके.

तीन दिनों तक चली बैठक का विषय- ‘न्याय प्रदायी प्रणाली का सशक्तीकरण’ था. इसमें पूरे देश से लगभग तीन सौ प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. राज्य के विभिन्न जिलों से प्रतिनिधि आये थे. कार्यक्रम में न्यायपालिका से संबंधित विषयों पर 11 सत्रों में चर्चा चली.

इस संदर्भ में दो प्रस्ताव भी पारित किये गये. पहला प्रस्ताव सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2002 में न्यायधीशों की क्षमता पर व्यक्त की गई टिप्पणी से संबंधित था. 2002 में सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया था. दस लाख की आबादी पर न्यायाधीशों का औसत अनुपात 10.5 है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने बढ़ाकर 50 न्यायाधीश करने की बात कही थी. विभिन्न न्यायालयों में 31 दिसंबर, 2011 तक 3 करोड़ 13 लाख 69 हजार 568 मामले लंबित हैं. जबकि इस तारीख तक 3947 न्यायिक पदाधिकारियों के पद रिक्त थे. अधिवक्ता परिषद् का ऐसा मानना है कि अधिवक्ता न्यायालय के अभिन्न अंग हैं. इनके कारण न्याय प्रक्रिया में शीघ्रता आती है, परंतु उनका सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है.

दूसरा प्रस्ताव असम में मारे गये निर्दोष वनवासियों से संबंधित था. अधिवक्ता परिषद् ने कोकराझाड़ एवं सोनीपथ में मारे गये सौ से अधिक लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि महिलाओं और बच्चों की हत्या करना एक बर्बरता पूर्ण कार्रवाई है. इसे अमानवीय और कायरतापूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा गया कि परिषद् इस राष्ट्रद्रोही कार्य की न्यायिक जांच तथा उग्रवादियों पर सख्त कार्रवाई की मांग करती है.

कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर तथा राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तथा बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति एसएन झा ने विनायक दीक्षित द्वारा संपादित न्याय प्रवाह तथा न्यायपुंज नामक स्मारिका का विमोचन भी किया. कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के विशेष आमंत्रित सदस्य तथा पटना उच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिन्हा थे.

 

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