लॉस एंजिल्स. नागरिकता संशोधन अधिनियम पर फैलाए जा रहे भ्रम को लेकर अमरीका के कैलिफोर्निया प्रांत के लॉस एंजिल्स में भारतीय विचार मंच ने संगोष्ठी का आयोजन किया. सेरिटोस पब्लिक लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम में 120 बुद्धिजीवी एकत्रित हुए और भारत सरकार द्वारा लागू नागरिकता संशोधन अधिनियम के बारे में दी जानकारी को सुना.
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमित देसाई ने किया. कश्मीर हिन्दू फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. अमृत नेहरू ने पाकिस्तान में हो रहे हिन्दुओं के नरसंहार के बारे में ऐतिहासिक तथ्य देते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला. सामाजिक कार्यकर्ता फीजिशियन डॉ. जसवंत पटेल ने बंटवारे के दौरान हिन्दुओं और सिक्खों पर हुए अत्याचारों का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा लाया गया नागरिकता संशोधन अधिनियम बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के लिए एक सौगात है. सीएए को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है कि भारतीय मुसलमानों की नागरिकता चली जाएगी, जबकि किसी भी कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता. यह बिल्कुल झूठ है, इसका कोई आधार नहीं है. एक साजिश के तहत भ्रम फैलाया जा रहा है.
सामाजिक कार्यकर्ता सन्मय मुखोपाध्याय ने 1947 के बंटवारे और 1971 के दौरान पूर्वी पाकिस्तान (आधुनिक बांग्लादेश) में अपने परिवार के भयावह अनुभव के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस्लामिक देशों से आने वाले हिन्दू, सिक्ख, जैन और अन्य अल्पसंख्यकों के लिए सीएए बहुत जरूरी है.
सैन फ्रांसिस्को में भारत के कौंसिल जनरल संजय पांडा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम की आवश्यकता पर भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहरलाल नेहरू का उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे स्वयं नेहरू ने भी सीएए की जरूरत बताई थी. इसके अलावा उन्होंने भारत के कई पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा सीएए को लेकर की गई टिप्पणियों और उसकी जरूरत के बारे में बताया. हर देश के पास अपने नागरिकों का रजिस्टर होता है. यह कोई नई चीज नहीं है. एनआरसी भारत की भी जरूरत है.
कार्यक्रम में सेरीटोस शहर के सम्मानित महापौर नरेश सोलंकी, सिक्ख, जैन समुदाय, हिन्दू मंदिरों के प्रतिनिधि सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
डॉ. अमित देसाई और प्रवीण तंवर ने सवालों के उत्तर भी दिए. अधिकतर प्रश्न सीएए को लेकर सेकुलर मीडिया द्वारा चलाए जा रहे एजेंडे से संबंधित थे. विशेषज्ञों के पैनल ने सीएए पर तथ्यों के साथ लोगों को और अधिक शिक्षित करने की आवश्यकता की बात कही. भारतीय विचार मंच का मिशन संवाद को बढ़ावा देना है, जिसके द्वारा धर्म दर्शन, संस्कृति और परंपराएं वैश्विक विचार और क्रिया को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं.