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विद्याभारती संस्थान के 69 विद्यार्थियों ने प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त किया

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प्रदेश में 11 लाख विद्यार्थियों में शाजापुर शिशु मंदिर का विद्यार्थी 495 अंक प्राप्त कर प्रथम रहा

भोपाल (विसंकें). मध्यप्रदेश के माध्यमिक शिक्षा मंडल, भोपाल द्वारा आयोजित बोर्ड परीक्षा (कक्षा 10वीं और 12वीं) के परिणाम आ गए हैं. प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विद्याभारती के भय्या-बहनों ने प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त कर सबका ध्यान आकर्षित किया है. प्रावीण्य सूची में शामिल 263 विद्यार्थियों में से विद्याभारती संस्थानों के 69 विद्यार्थी हैं. विद्याभारती ने सोमवार को प्रदेश की प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का अभिनंदन किया गया. शारदा विहार परिसर में आयोजित अभिनन्दन समारोह में सभी विद्यार्थियों का सम्मान किया गया.

विद्याभारती द्वारा काला पीपल, शाजापुर में संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के भय्या हर्षवर्धन परमार ने कक्षा 10वीं की प्रावीण्य सूची में 500 में से 495 अंक लेकर प्रथम स्थान प्राप्त किया है. मध्यप्रदेश में कक्षा 10वीं में लगभग 11 लाख विद्यार्थी पंजीकृत हैं. इसके साथ ही सरस्वती शिशु मंदिर, विंध्य कालोनी, उमरिया के प्रभात शुक्ला ने 494 अंक प्राप्त कर दूसरा स्थान प्राप्त किया. सरस्वती शिशु मंदिर, बुरहानपुर के चितवन नाईक ने 493 अंकों के साथ तीसरा स्थान प्राप्त कर पूरे प्रदेश में विद्याभारती का नाम रोशन किया है.

कक्षा 10वीं में प्रथम से 10वें स्थान तक विद्याभारती के 62 भय्या/बहनों ने प्रावीण्य सूची में स्थान प्राप्त कर एक नया इतिहास रचा है. साथ ही कक्षा 12वीं की प्रावीण्य सूची में विद्याभारती के 7 भय्या-बहनों ने बाजी मारी है. सभी छात्र-छात्राओं को प्रतीक चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.

समारोह में भोजमुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रविन्द्र कान्हेरे जी ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त कर समाज के लिए कार्य करें. राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील गुप्ता जी ने कहा कि आज के समय में आईटी कंपनी की ग्रोथ कम हो रही है क्योंकि भारत की अधिकतर जनसंख्या गांव में निवास करती है, इसलिए उनकी अंग्रेजी भाषा काम नहीं आ रही है. कंपनियां अब अपनी ग्रोथ के लिए मातृ भाषा एवं क्षेत्रीय भाषा पर बल दे रही हैं.

इस अवसर पर विद्याभारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. गोविन्द प्रसाद शर्मा जी ने कहा कि प्रतिभा सूर्य के समान होती है, जो जीवन की विभिन्न कठिनाईयों में संघर्ष कर परिस्थितियों को अपने अनुकूल बना लेती है, उनके जीवन पुष्प की सुगंध अपने लिए न होकर समाज के लिए होती है. ऐसी प्रतिभाएँ समाज की धरोहर हैं. विद्याभारती के आचार्य परिवार ने इतनी मेहनत से इन प्रतिभाओं का सृजन कर छात्रों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण किया है, वह आज हमारे समाने है.

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