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विविधता भरे भारत में एक शाश्वत सत्य हमारी सांस्कृतिक एकता है – डॉ. मोहन भागवत जी

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इंदौर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि समाज में एक प्रभावी संगठन खड़ा करने के लिए संघ नहीं बना है, समाज को संगठित करने के लिए संघ कार्य करता है. जिस देश के युवा गुण संपन्न सामाजिक हित में जीने-मरने के लिए तैयार रहते हैं, उस समाज का, देश का उत्थान हो सकता है और यही कार्य संघ की शाखा में किया जाता है. संघ की शाखा में ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा ही शक्ति संचय का कार्य किया जाता है. सरसंघचालक जी ने डॉ. हेडगेवार जी के जीवन चरित्र को रखते हुए कहा कि प्राथमिक शिक्षा के समय से ही संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी ने देश के लिए कुछ करना है, ये तय करके अपने जीवन को उस और मोड़ दिया था. विद्यालय स्तर पर ही वंदेमातरम के आंदोलन में जुड़ गए और उन्होंने अपने अनुभव से ये बात ध्यान दिलाई कि हिन्दुस्तान में सभी कुछ मिट सकता है, पर देश का एक सत्य है जो हेडगेवार जी को ध्यान आ गया था और वह था हमारी सांस्कृतिक एकता और इसे ही संभालना सभी को एक साथ चलना, एक लक्ष्य में राष्ट्र के विकास के लिए कार्य करना ये ही आवश्यक है.

सरसंघचालक जी इंदौर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा आयोजित महाविद्यालीन विद्यार्थियों के शारीरिक प्रकट कार्यक्रम ‘शंखनाद’ में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान हिन्दू राष्ट्र है, इससे किसी की दुश्मनी नहीं है, विरोध नहीं है. इसका मतलब ये नहीं है कि देश दूसरे धर्म वालों का नहीं है. जो भारतीय हैं, जिनके पूर्वज इस भूमि के हैं, सब हिन्दू ही कहलाएंगे. जैसे जर्मनी में रहने वाला हर नागरिक जर्मन, अमेरिका में रहने वाला अमेरिकन वैसे ही हिन्दुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू हैं. सरसंघचालक जी ने कहा कि डंडों से कहीं परिवर्तन नहीं हो सकता. विश्वगुरू बनना है तो आचरण, विचार, दृष्टि में बदलाव लाना होगा. देश में किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए. भगिनी निवेदिता का उल्लेख करते हुए कहा कि मिलकर उद्यम करना हमें यूरोप से सीखना होगा. ध्येय प्राप्ति के लिए वहां विरोधी और विपरीत सोच वाले भी मिलकर काम करते हैं.

डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि धर्म के चार प्रमुख स्तम्भ हैं – 1. सत्य पर रहना, 2. करुणा, 3. सुचिता, 4. तप. उन्होंने कहा कि ये चारों एक दूसरे से जुड़े हैं. संघ की शाखा में भी जो जाता है, वह तप करता है. समय का प्रबंधन, जिस स्थान पर नियमित जाना, उस अनुशासन को अपने अंदर उतारना. उन्होंने कहा कि आप सभी इस शाखा में आकर सहभागी बनें तो यह तप मानवता का पथ प्रदर्शक होगा.

उन्होंने विकास को सरकार के बजाय समाज की जिम्मेदारी बताया. उन्होंने कहा कि जंगल में रहने वाला शेर अविकसित कहलाएगा, उसे चिड़ियाघर में रख दिया तो उसके लिए सुविधाजनक पिंजरा होगा. दर्शकों के लिए भी तय व्यवस्था रहेगी. देखा जाए तो उसने विकास किया, लेकिन शेर का विकास मनुष्य के साथ रहने में नहीं है. कार्यक्रम में क्षेत्र संघचालक अशोक जी सोहनी, प्रान्त संघचालक प्रकाश जी शास्त्री, क्षेत्र प्रचारक अरुण जी जैन, मुख्य अतिथि के रूप में राजेश जी मेहता संचालक शिशुकुंज एवं विशेष अतिथि अय्यर जी ट्रस्टी सिक्का स्कूल समूह उपस्थित थे. कार्यक्रम के प्रारंभ में कॉलेज विद्यार्थियों द्वारा शारीरिक प्रकट कार्यक्रम किया गया, जिसके अंतर्गत विभिन्न शारीरिक कार्यक्रम हुए. कार्यक्रम में कॉलेज विद्यार्थी पालक डॉ. निशांत जी खरे ने प्रस्तावना रखी.

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