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विश्व को समन्वय के मार्ग से आगे ले जाने का कार्य ईश्वर ने भारत को सौंपा है – भय्याजी जोशी

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‘विश्वगुरु भारत – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टीकोण’

पणजी (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने कहा कि ‘भारत और हिन्दू अलग-अलग नहीं है. संस्कार, समर्पण, संगठन, सकारात्मकता आदि गुण आत्मसात करके देशहित के लिए सक्रिय रहने वाले नागरिकों की आज देश को आवश्यकता है. इसी विचार के साथ डॉ. केशव बळीराम हेडगेवार ने सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. सामाजिक स्तर पर देशव्यापी परिणाम देखकर डॉक्टर हेडगेवार का उद्देश्य सफल होने की अनुभूति होती है. संघ कभी भी जाति, वर्ग, पंथ के भेदभाव को नहीं मानता. राष्ट्र के खिलाफ होने वाली गतिविधियों को लेकर आवाज उठाने वाला, देशहित की चिंता करने वाला, देश को सामर्थ्यवान बनाने के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाला कार्यकर्ता स्वयंसेवक है. सरकार्यवाह ‘विश्वगुरु भारत – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टीकोण’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम दिन प्रबुद्ध नागरिकों को संबोधित कर रहे थे.

भय्याजी जोशी ने कहा कि विविध शक्तियों ने लगातार देश को तोड़ने का प्रयास किया. लेकिन वह प्रयास कभी सफल नहीं हुआ और कभी सफल होगा भी नहीं. वैश्विक चिंतन करने का सामर्थ्य केवल भारत के पास ही है. अपनी परंपरा, धारणा संपूर्ण मानव जाति के कल्याण की है. विश्व को समन्वय के मार्ग से आगे ले जाने का कार्य ईश्वर ने भारत को सौंपा है. वह कार्य जब पूरा होगा, तभी सब समस्याओं का समाधान होगा.

उन्होंने कहा कि ‘एक देश, एक समाज’ यह भावना हर एक के मन में होनी चाहिए. ‘अतिथि देवो भवः’ यह भारत की संस्कृति है. हिन्दू समाज संगठित करना मतलब किसी के विरोध में खड़े रहना और सांप्रदायिकता फैलाना नहीं होता. संगठित समाज देश की आवश्यकता है. यह बात संघ का विरोध करने वालों को ध्यान में रखनी चाहिए. अनेक लोग भारत के ‘सुपर पॉवर’ बनने की बात करते हैं. ‘पॉवर’ मतलब साम्राज्य और विश्व पर साम्राज्य स्थापित करना, यह भारत की आवश्यकता नहीं है. भारत के आगे ‘सुपर राष्ट्र’ होने का लक्ष्य है. भारत को इसी दृष्टि से प्रयास करना चाहिए. यह राष्ट्र शक्तिसंपन्न होना चाहिए, और विश्व के सामने आदर्श बनकर खड़ा होना चाहिए. यह संघ का उद्देश्य है. ऐसा श्रेष्ठ विचार लेकर चल रहा यह समाज, यह देश दुर्बल होना नहीं चाहिए. वह सामर्थ्य संपन्न होना चाहिए. बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय नहीं तो सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, यह विचार भारत ने दिया है.

कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत, गोवा संघचालक नाना उर्फ लक्ष्मण बेहरे, कोंकण सह प्रांत संघचालक बाबा उर्फ अर्जुन चांदेकर, सदानंद शेटे तथा विविध क्षेत्र के मान्यवर उपस्थित थे.

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