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विश्व शांति का मार्ग भारत के आध्यात्मिक गलियारों से ही गुजरता है – अवधेशानंदगिरी जी

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हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का विधिवत शुभारंभ

100_6786जयपुर (विसंकें). द्वितीय हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा मेले का शुभारंभ शुक्रवार को जयपुर के एसएमएस इन्वेस्टमेन्ट ग्राउण्ड हुआ. हिन्दू आध्यात्मिक एवं सेवा फाउण्डेशन, जयपुर द्वारा आयोजित मेले के उद्घाटन समारोह में महामण्डलेश्वर पू. अवधेशानन्दगिरी जी का आशीवर्चन प्राप्त हुआ. समाज-बंधुओं से उन्होंने कहा कि हमारी निजता का बोध कराये उसी को आध्यात्म कहते हैं, हमारा आध्यात्म प्रेम, सेवा, संवेदना है जो हमारी विराटता का बोध कराती है. पश्चिम का दृष्टिकोण है कि पूरा विश्व बाजार है, जबकि भारतीय दृष्टिकोण परिवार का है. विश्व शांति का मार्ग राजनीति या हथियारों के गलियारों से होकर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक गलियारों से गुजरता है.

मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह जी ने कहा कि व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र एक दूसरे से जुडे है. राष्ट्र की मजबूती के लिए ऐसे मेलों का आयोजन समय की मांग है, इस प्रकार के मेलों का उद्देश्य मानवीय व पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देना है, ताकि संयुक्त परिवार बने रहे. यह चिन्ता का विषय है कि नौकरी के कारण परिवार एकल हुए. जिनमें बच्चों को बड़ों का सानिघ्य नहीं मिल पा रहा.

अक्षयपात्र फाउण्डेशन के उपाध्यक्ष पू. मधुपण्डित दास जी ने कहा कि ऐसे मेलों से हम एक दूसरे से परिचित होते हैं. सन्तान धर्म जीवन के प्रत्येक क्षेत्र का विकास करता है. आध्यात्मिक संगठन सदैव मानव सेवा में लगे रहते है. सनातन धर्म के विस्तार के लिए आध्यत्मिक एवं भारतीय साहित्य का अनुवाद अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध होना चाहिए. कार्यक्रम में पू. साध्वी विजया उर्मिली, पूं. संवित् सोमगिरी जी महाराज, फाउण्डेशन के अध्यक्ष डॉ. सुभाष बाफना, उपाध्यक्ष डॉ. एमएल स्वर्णकार, ट्रस्टी राजलक्ष्मी जी मंच पर उपस्थित थीं. कार्यक्रम में खेलकूद प्रतियोगितों के विजेताओं को राजस्थान क्षेत्र प्रचारक दुर्गादास जी, क्षेत्र सेवा प्रमुख शिवलहरी जी ने पुरस्कृत किया. मेला स्थल पर गंगा-गौ-वृक्ष वन्दन का कार्यक्रम भी हुआ. डॉ. सुभाष बाफना जी ने उपस्थित संतों, गणमान्य व्यक्तियों व आगंतुकों का आभार व्यक्त किया.

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