कर्णावती (गुजरात). प्रसिद्ध गुजराती लोक कलाकार श्री भीखूदान भाई गढवी ने राष्ट्रीय संवयंसेवक संघ के शिविर संकुल में पू.के.का.शास्त्री संघ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि गुजरात की इस पवित्र भूमि पर उपस्थित सभी पत्रकार, स्वयंसेवक एवं हम सभी भारतीय संस्कृति के वाहक हैं. उन्होंने शिवाजी के विषय में काव्य पंक्ति द्वारा भारतीय भूमि एवं संस्कृति की वंदना की. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भारतीय संस्कार के विचारो की सर्वाधिक आवश्यकता है. श्री भीखूदान भाई गढवी ने इस अवसर पर प.पू.के.का.शास्त्रीजी के साथ अपने सान्निध्य का पुन:स्मरण किया.
इस अवसर पर सहसरकार्यवाह श्री सुरेशजी सोनी, पश्चिम क्षेत्र के संघचलक श्री अशोक रावजी कुकडे तथा गुजरात प्रांत के संघचालक डॉ. जयंतीभाई भाडेसीया की उपस्थिति में किया गया. इस अवसर पर भारतीय विचार मंच, गुजरात द्वारा निर्मित देश भक्ति के गीतों की एक सी.डी का विमोचन श्री अशोक रावजी कुकडे ने किया.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सहसरकार्यवाह श्री सुरेशजी सोनी ने कहा की जीवन में संस्कार करने में, कला और साहित्य का विशेष महत्त्व है श्री सुरेशजी ने इस अवसर पर सन 2000 के संकल्प शिविर को याद करते हुये दास्तान फार्म के मालिक स्व. श्री प्राणलाल भोगीलालजी का स्मरण करते हुए कहा कि श्री प्राणलाल भाई को पुरानी वस्तुयें संग्रह करने का शौक था तथा ये सभी वस्तुयें अच्छी हालत में हैं. पुरानी कारों का एक बड़ा संग्रह उनके पास है और सभी कार अच्छी स्थिति में हैं. साथ ही साथ वे आधुनिकता के भी पोषक थे. यही हमारे देश की विशेषता है यानि हमारी चिर पुरातन नित्य नूतन संस्कृति है. श्री सोनी ने कहा कि संघ शक्ति कलियुगे अर्थात एक व्यक्ति नहीं किन्तु पूरे समाज को संगठित रखने के लिये संघ का निर्माण हुआ है. पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम का उल्लेख करते श्री सुरेश जी ने कहा कि कलाम जी ने एक पत्रकार परिषद में पत्रकारों के सभी प्रश्नो का उत्तर एक ही वाक्य में देते हुए कहा था कि मजहब को आध्यात्मिक अधिष्ठान दीजिये और राष्ट्र के लिये विचार करने वाले व्यक्ति का निर्माण ही सभी समस्याओं का एकमात्र विकल्प है.
सुरेशजी ने कहा कि हमारे देश ने प्रगति को स्वीकार किया है, लेकिन परंपरा का त्याग नहीं किया हैं. विकास के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि हम जमीन से जुड़े रहें. वर्तमान समय में विश्व जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, उनमें आतंकवाद, वैश्विक मंदी और ग्लोबल वार्मिंग मुख्य हैं, जिनका समाधान भारतीय जीवन शैली एवं चिंतन में है. उन्होंने कहा कि भारत महान, श्रेष्ठ, समृद्ध और पूरा समाज चारित्रवान बने यही विश्व शांति की गारंटी है और यह प्रदर्शनी इसी विचार की परिचायक है.