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शिक्षा के क्षेत्र में आवश्यक है सामाजिक दायित्व

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पटना. शिक्षा के क्षेत्र में तबतक बदलाव नहीं आएगा जब तक समाज अपने दायित्व का निर्वहन नहीं करेगा. शिक्षा में सुधार को लेकर अबतक जितनी भी समितियां बनी हैं उनके रिपोर्ट को इच्छाशक्ति के अभाव में धरातल पर नहीं उतारा जा सका. शिक्षा सिर्फ सरकार का विषय नहीं, समाज को भी अपना दायित्व निभाना होगा. उक्त बातें पटना संग्रहालय में संस्कृति शिक्षा न्यास समिति द्वारा आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सीबीआई के पूर्व निदेशक सरदार जोगिन्दर सिंह ने कही. ‘वर्तमान शिक्षा में चुनौतियां एवं समाधान’ विषयक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने कहा कि पूरे देश में शिक्षा का स्तर गिर रहा है. बिहार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि बिहार के कई प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पांचवी कक्षा तक की पाठ्यपुस्तक भी ठीक से नहीं पढ़ पाते हैं और सरकार उन्हें वोट बैंक के लालच में अगली बार गलती सुधारने का विकल्प देती है. हेनरी फोर्ट, अब्राहम लिंकन, ईश्वरचंद्र विद्यासागर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि व्यवस्था में त्रुटियों का रोना छोड़कर समाधान तलाशने की आवश्यकता है. उन्होंने शिक्षकों से अनुरोध किया कि विषय को दिलचस्प एवं रोचक बनाकर बच्चों को बताने से अधिक लाभ होगा. हिन्दी दिवस (14 सितंबर) को आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रख्यात शिक्षाविद् अतुल भाई कोठारी ने कहा कि शिक्षक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करते हैं, लेकिन इतना ही काफी नहीं. बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए स्वयं को अधिक-से-अधिक जानकार बनाना होगा. भोजन पूर्व सत्र में उन्होंने चाणक्य द्वारा वर्णित शिक्षकों के दायित्व का स्मरण भी कराया. संगोष्ठी की अध्यक्षता पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. अरुण कुमार सिन्हा ने किया. अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम के संयोजक श्री प्रेमनाथ पाण्डेय ने किया. मंच संचालन डॉ. अनिता ने किया. इस अवसर पर रा.स्व.संघ के क्षेत्र प्रचारक माननीय स्वांत रंजन जी, पटना विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. बलराम तिवारी, पटना के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मिश्र इत्यादि भी उपस्थित थे.

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