गुजरात (विसंकें). विद्याभारती एवं मोरबी शिशुमंदिर परिवार द्वारा गुजरात के मोरबी सनाला के पास 7 करोड़ रुपए की लागत से बने सरस्वती माध्यमिक संकुल भवन का लोकार्पण कार्यक्रम का आयोजन दिनांक 3 मई, रविवार को किया गया.
मुख्यातिथि महामहिम राज्यपाल ओपी कोहली जी ने कहा कि अंग्रेजी विषय अन्य विषयों की तरह स्वीकार करना चाहिए, परन्तु अंग्रेजी माध्यम को मातृभाषा पर हावी नहीं होने देना चाहिए. उन्होंने अंग्रेजी माध्यम का हठाग्रह रखकर बच्चों पर बोझ डालने वाले अभिभावकों की निंदा करते कहा कि शिक्षा मानसिक गुलामी से मुक्ति प्राप्त करने का साधन है. शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो मानसिक गुलामी से बचाए.
आज की शिक्षा पद्धति के अनुसंधान में पांच यक्ष प्रश्न करते हुए कहा कि 1. बच्चों को हम क्या पढ़ा रहे हैं?, 2. कौन पढ़ा रहा है ?, 3. किस तरह पढ़ा रहा है ?, 4. किसलिए पढ़ा रहा है ?, 5. किस भाषा में पढ़ा रहा है ?
यदि इन पांच प्रश्नों पर चिंतन किया जाय तो शिक्षण पद्धति के विषय में वास्तविकता ध्यान में आएगी. आज का शिक्षण अधूरा है, कोई भी व्यक्ति पढ़कर बाहर निकलता है तो वह अपने सामाजिक दायित्व को भूल जाता है, आज शिक्षण केवल व्यवसाय तक सीमित रह गया है, इससे व्यक्ति धन कमा सकता है, लेकिन आदर्श व्यक्ति नहीं बन सकता.
उन्होंने कहा कि शिक्षण के लिए स्वामी विवेकानंद जी से लेकर महर्षि अरविंद तक ने काफी चिंतन किया और उसमे सत्व भी है. उसी पद्धति से भारतीय संस्कृति और भारतीयता का गौरव बढ़ेगा. मात्र वेतन के लिए जो पढ़ाता है, वह शिक्षक नहीं कर्मचारी है. शिक्षक को एक मिशन के साथ काम करना चाहिये. बालक में सामाजिक दायित्व का भाव जागृत कर व्यक्ति निर्माण करने का और उसके माध्यम से राष्ट्र निर्माण का कार्य करने का दायित्व शिक्षक का है.
अखिल भारतीय विद्याभारती के अध्यक्ष गोविंद प्रसाद शर्मा ने कहा कि शिक्षण गरीबी दूर करने का मार्ग बताता है, परन्तु आज की शिक्षण व्यवस्था भारत के अनुरूप नहीं है. क्योंकि आज भी उसका विचार केंद्र यूरोप ही है. उन्होंने शिक्षण व्यवस्था तथा सामाज व्यवस्था पर भी चिंता व्यक्त की और कहा कि विचारों का गुरुत्व केंद्र भारत होना चाहिए तथा हमारे विचार भारत केंद्रित होने चाहिए. पश्चिम क्षेत्र संघचालक जयंतीभाई भाड़ेसिया सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित थे.