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संक्रांति पर 13 अखाड़ों ने किया शाही स्नान, करोड़ों लोगों ने भी लगाई डुबकी

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मेला प्रशासन की करीब एक वर्ष की तैयारियों के बाद कुम्भ मेले के पहले शाही स्नान का इंतजार खत्म हुआ. अद्भुत चकाचौंध, चारों तरफ दुधिया रोशनी में मकर संक्रांति का शाही स्नान शुरू हुआ. कुम्भ मेले में एक तरफ अखाड़ों के शाही स्नान की सवारी निकली तो दूसरी तरफ स्नानार्थियों ने संगम में पवित्र डुबकी लगा कर पुण्य लाभ अर्जित किया. मेला क्षेत्र में संगम नोज, गंगा और यमुना तट पर बनाए गए स्नान घाटों पर हर तरफ स्नानार्थियों की भीड़ थी. कड़ाके की ठण्ड के बावजूद दूर – दूर से आए श्रद्धालू, मेले में कई किलोमीटर पैदल चलकर स्नान घाट तक पहुंचे. स्नान करने वालों में बच्चों से लेकर वृद्ध तक शामिल रहे. जबदस्त ठण्ड हो, यातायात नियमों के चलते कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा हो या फिर वृद्धा अवस्था हो, इन सब पर आस्था भारी पड़ी. मेला प्रशासन के मुताबिक दो करोड़ स्नानार्थियों ने मकर संक्रांति पर स्नान किया.

अखाड़ों के शाही स्नान में मेला प्रशासन द्वारा 13 अखाड़ों को ही मान्यता देता है. इधर अखाड़ा परिषद भी किसी नए अखाड़े को मान्यता देने के पक्ष में नहीं है, मगर किन्नर अखाड़ा की बढ़ती लोकप्रियता को देख कर जूना अखाड़े ने अपने साथ शाही स्नान करने की सहमति दे दी. पहली बार किन्नर अखाड़ा कुम्भ मेला के शाही स्नान में शामिल हुआ. शाही सवारी में बकायदा किन्नर अखाड़े का अलग से बैनर लगा हुआ था. मेले में सभी 13 अखाड़ों के साधु – संतों ने सकुशल शाही स्नान किया. उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से स्नानार्थियों के ऊपर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई.

मेला प्रशासन और अखाड़ों के बीच बनी सहमति के अनुसार सुबह सवा पांच बजे शाही स्नान शुरू हो गया. शाही स्नान के लिए पहले नंबर पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साथ श्री पंचायती अटल अखाड़ा पूरे शाही अंदाज में निकला. अखाड़ा मार्ग से होते संगम स्नान के लिए अखाड़े के महंत , श्री महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर एवं आचार्य महामंडलेश्वर शाही अंदाज में स्नान के लिए संगम नोज पर पहुंचे. उधर नागा संन्यासी युद्ध कला का प्रदर्शन करते हुए संगम नोज तक पहुंचे. मेले में आए स्नानार्थियों की नागा संन्यासियों के प्रति गहरी आस्था देखने को मिली. नागा संन्यासियों का दर्शन पाने के लिए लोग, स्नान मार्ग के दोनों तरफ कतार में खड़े हुए थे. नागा संन्यासियों ने अपने अस्त्र – शस्त्र के साथ संगम में पहुंच कर पवित्र डुबकी लगाई. उसके बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के साथ तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा, संगम तट पर शाही स्नान के लिए पहुंचे. मेला प्रशासन, अखाड़े के साधु – संतों के आगमन – प्रस्थान मार्ग पर पूरी तरह मुस्तैद था. संगम नोज पर जिलाधिकारी कुम्भ, विजय किरण आनंद और पुलिस उप महानिरीक्षक कविन्द्र प्रताप सिंह ने शाही स्नान करने आये अखाड़ों के संतों का स्वागत किया.

शाही स्नान का तीसरा जुलूस अत्यंत विशाल रहा. इसमें सबसे विशाल अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के साथ श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा एवं श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर एवं सभी साधु – संतों ने संगम पर पवित्र डुबकी लगाई. शैव सम्प्रद्राय के अखाड़ों के शाही स्नान के बाद बैरागियों के अखाड़े का शाही स्नान शुरू हुआ. बैरागियों के अखाड़ों में अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा ने शाही स्नान किया. उसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा ने शाही स्नान किया. इसके बाद अखिल भारतीय श्री पंच निर्वाणी अनी अखाड़ा ने शाही स्नान किया. उदासीन सम्प्रद्राय के तीन अखाड़ों में श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, उसके बाद श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन एवं आखिर में श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल ने शाही स्नान किया.

संगम एवं गंगा के तट पर लगने वाले कुम्भ में शाही स्नान ही इसका सबसे ख़ास आकर्षण है. इस शाही स्नान को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए मेला प्रशासन कई महीनों से तैयारी में जुट गया था. गंगा – यमुना के तट से लगी हुई भूमि को समतल करके 35 स्नान घाट बनाए गए थे. जल के बहाव को देखते हुए ‘डीप वाटर बैरीकेडिंग’ की गयी थी ताकि स्नानार्थी गहरे पानी की तरफ ना जाएं.

इस बार पूरे शहर में भारी वाहनों समेत चार पहिया वाहन के आवागमन पर रोक लगा दी गयी है. वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, बांदा, रीवां और कानपुर की तरफ से किसी भी बस को शहर के अन्दर प्रवेश करने से रोक दिया गया है, शहर के बाहर ही वाहन की पार्किंग बनाई गयी है. वहीं पर यात्रियों को उतार दिया गया. वहां से शहर में जाने के लिए शटल बस चलाई गयी है. शटल बस यात्रियों एवं स्नानार्थियों को बस स्टैंड से शहर के बाहर पार्किंग स्थल तक के परिवहन में अनवरत लगी हुई है.

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