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संगठित होकर करें रावण की प्रवृत्ति का विनाश – मुकेश जी

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नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिल्ली प्रांत के उत्तरी विभाग में कृष्ण मुरारी जिले का शस्त्रपूजन व पथ संचलन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कृष्ण मुरारी जिले के पांच नगरों के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में विजयादशमी समारोह में भाग लिया.

2शस्त्र पूजन समारोह में दिल्ली प्रान्त के सेवा प्रमुख मुकेश जी ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित किया. मुख्य अतिथि के नाते सिटी हॉस्पिटल बुराड़ी के संस्थापक डॉ. कुलदीप कुमार जी उपस्थित थे, समारोह की अध्यक्षता उत्तरी विभाग संघचालक सत्यनारायण बन्धु जी ने की. समारोह का वृत्त जिला कार्यवाह मनोज जी ने प्रस्तुत किया.

मुकेश जी ने कहा कि आज संघ की स्थापना हुए 90 वर्ष हो रहे हैं, डॉ. हेडगेवार ने आज ही के दिन 1925 में नागपुर में संघ की स्थापना गुलामी की मनोवृति से समाज को बाहर निकालने के लिए की थी. बाहरी शक्तियों ने समय-समय पर उस भारत को गुलाम बनाया, खंडित किया, जिसे सब सोने की चिड़िया कहा करते थे. यह राम और कृष्ण का देश, चक्रवर्ती सम्राटों का देश भारत कैसे समय-समय पर अंगेजों, तुर्क, मुगल, डच, फ्रेंच, पुर्तगालियों का गुलाम हो गया. विदेशियों के अत्याचारों, दमनपूर्वक शासन व्यवस्था से हमारा स्वाभिमान शून्य हो चुका था. उस समय अंग्रेजों से देश की स्वतन्त्रता के लिए आंदोलन चल रहे थे, और देश अंग्रेजों के शासन से आजाद होगा, यह सबको आशा थी. लेकिन तब भी ऐसी कोई गारंटी नहीं थी कि फिर से कोई और बाहरी शक्ति हम पर शासन नहीं करेगी, देश का विखंडन नहीं होगा. इसी बात को डॉक्टर हेडगेवार ने पहचाना, उन्होंने बताया कि भारत में विदेशियों का शासन तथा विखंडन इसलिए हुआ क्योंकि देश में उस समय जो सज्जन शक्ति थी, वह संगठित नहीं थी, अलग-अलग धाराओं में बंटी हुई थी. समाज में बहुत प्रकार के भेद थे. मुकेश जी ने जलियांवाला बाग कांड याद दिलाया कि वहां गोली चलाने वाले अंग्रेज नहीं थे, वे भारतीय सैनिक ही थे. यदि उनमें देशभक्ति की भावना होती तो वे अपने ही देशवासियों पर गोली नहीं चलाते, सैकड़ों लोगों की जानें नहीं जातीं. पूज्य डॉ. साहब की दृष्टि इन सब बातों पर -1एकटक हुई, देश के एक-एक नागरिक में देश भक्ति, कर्तव्य की भावना जगाने, भविष्य में देश की सज्जन शक्ति एकजुट रहे, भारत दोबारा गुलाम न बने और न ही विखंडित हो, इस विचार को ध्यान में रखकर विजयादशमी के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की. व्यक्ति निर्माण के इस ध्येय के लिए डॉ. हेडगेवार ने प्रतिदिन गली-मौहल्लों में लगने वाली संघ की शाखाओं को माध्यम बनाया. उन्होंने शाखाओं में दंड का महत्व बताया, उन्होंने बताया कि नख दंत विहीन प्राणी पर कोई भी आसानी से हमला कर देता है. स्वयं को बलशाली बनाना कोई बुरी बात नहीं हैं, लेकिन उसका उपयोग सज्जन शक्ति की रक्षा के लिए होना चाहिए. इसलिए हम शस्त्र पूजा करते हैं. सभी हिन्दू देवी-देवताओं के हाथ में शस्त्र भी दिखाई देते हैं जो बताते हैं कि हम शक्तिशाली बनें, साहसी बनें, समय आने पर दुष्टों का विनाश करने के लिए शस्त्र भी उठाना पड़े तो उठाएंगे, सज्जन शक्ति की रक्षा भी करेंगे. आज देश में सज्जन शक्ति की संख्या ज्यादा है, किन्तु बोलबाला ज्यादा दुर्जन शक्ति का है. यहां तक कि 95 प्रतिशत से ज्यादा लोग सज्जन हैं, दुर्जन 2-4 पर्सेंट हैं, लेकिन बोलबाला ज्यादा उनका है. क्योंकि सज्जन शक्ति असंगठित है, अपने आपको असहाय मानती है. संघ उनको अपने साथ जोड़ कर उनमें आशा और सामर्थ्य जगाने का काम कर रहा है. मुकेश जी ने समारोह में स्वयंसेवकों को भगवान राम की सौगन्ध दिलाते हुए कहा Mukesh ji--कि जिस तरह प्रभु श्री राम ने दुष्ट रावण को समाप्त किया, उसी तरह हम सभी संगठित होकर समाज से रावण की प्रवृत्ति का विनाश करने में अपनी शक्ति लगाएं.

कृष्ण मुरारी जिले के पथ सञ्चलन व शस्त्र पूजन समारोह में नगर अनुसार स्वयंसेवकों की संख्या इस तरह से रही, स्वरूप नगर-291, बुराड़ी नगर, 387, आदर्श नगर-148, रविदास नगर-166, केशव नगर-154 तथा बख्तावरपुर नगर के 107 स्वयंसेवक, घोष दल के 54 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में शस्त्र पूजन करने के पश्चात् पथ संचलन किया. इस प्रकार कुल 1307 स्वयंसेवकों नें स्वरूप नगर स्टेडियम से भलस्वा डेयरी, दुर्गा मंदिर चौक तक 3 किलोमीटर तक पूर्ण अनुशासन में पथ संचलन किया. मार्ग में सभी समुदायों के नागरिकों ने पुष्प वर्षा से स्वयंसेवकों का स्वागत किया.

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