जमशेदपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 90 वर्ष पूरे हो गए हैं. संघ का रूप आज इतना विशाल हो गया है कि देश – दुनिया में इसके बारे में लोग जानना चाहते हैं. पिछले दिनों रतन टाटा नागपुर आए थे. उन्होंने पूछा था कि आप कैसे, ऐसे स्वयंसेवक बनाते हैं. उन्होंने कहा कि संघ स्वदेशी, आत्मीयता, अनुशासन व निष्ठा भाव से चलता है. जब तक आप संघ के इन गुणों को अपने व्यक्तिगत आचरण में नहीं लाएंगे, तब तक स्वयंसेवक नहीं बनेंगे.
सरसंघचालक जी 29 जनवरी को बिष्टुपुर स्थित साउथ पार्क मैदान में ‘महानगर एकत्रीकरण’ में स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे. करीब 55 मिनट के संबोधन में स्वयंसेवकों को उन्होंने कई उदाहरण देकर संघ के बारे में बताया. सरसंघचालक जी ने कहा कि हमें ऐसा स्वयंसेवक बनाना है, जो समाज को गढ़े. तभी संघ के साथ-साथ देश की वृद्धि होगी. आजकल अंग बनाने के लिए स्टेम सेल टेक्नोलॉजी और क्लोनिंग टेक्नोलॉजी भी आई है, जो शरीर की कोशिका से अंग का निर्माण कर देती है. प्रत्येक कोशिका में उसका बीज रहता है. संघ के साथ इतनी ही तन्मयता से जुड़ें. हम संघ में आए, लेकिन हममें संघ कितना अंदर आया, यह देखना है.
उन्होंने उपस्थित स्वयंसेवकों व समाज जनों से पूछा कि, देश का भाग्य बदलने वाली सरकार होती है क्या? फिर कहा, सरकार तो एक माध्यम है, देश चलाने का. यह काम समाज का है. वही इस देश का मालिक है. सरकार तो नौकर है. नौकर तब तक चुस्त रहेगा, जब मालिक चुस्त रहेगा. हम सब हिन्दू राष्ट्र के घटक हैं. हमें सदा अंग बनकर ही रहना है. संघ गढ़ने के लिए दूसरा आवश्यक घटक है, अनुशासन का पालन खुद करना. संघ प्रचारकों से नहीं, एक-एक स्वयंसेवक से बनता है. उन्होंने कहा कि हमें समाज का आचरण बदलना है. उसके जीवन में अनुशासन लाना है. महानगर एकत्रीकरण में काफी संख्या में शहरवासी व स्वयंसेवक उपस्थित रहे, जो काली टोपी पहने हुए थे.