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संवेदनशील समाज – युवा अपनी पॉकेटमनी खर्च कर वितरित कर रहे राशन

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झारखंड. चीनी वायरस के खिलाफ जंग में समाज का हर वर्ग सहायता के लिए खड़ा है. कोई राशन सामग्री वितरण कर रहा है, कोई खिचड़ी बांट रहा है तो कोई मुख्यमंत्री-प्रधानमंत्री राहत कोष में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहा है. शहर से लेकर गांव तक भूखों का पेट भरने का काम हो रहा है. जिसका जैसा सामर्थ्य वैसा काम. फिर चाहे गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी हो, सर्वधर्म सामूहिक विवाह समिति, हयूमैनिटी ग्रुप धनबाद, नमन इंडिया, संसार परिवार, रोटी बैंक यूथ क्लब या फिर गोविंदपुर यूथ ग्रुप. ऐसे न जाने कितने हैं जो सेवा की मिसाल पेश कर रहे हैं. सभी हर दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार 200 से 1500 जरूरतमंदों को भोजन करा रहे हैं.

गुरु का सांझा चूल्हा रोजाना 1500 लोगों का भर रहा पेट

बैंक मोड़ स्थित बड़ा गुरुद्वारा में सांझा चूल्हा के माध्यम से प्रबंधक कमेटी की ओर से प्रतिदिन 1500 जरूरतमंदों, बेसहारा और मलीन बस्तियों में रहने वालों के लिए लंगर (भोजन) तैयार कर बांटा जा रहा है. ऐसा करते हुए 55 दिन हो गए हैं. प्रबंधक कमेटी के वरीय सदस्य राजिंदर सिंह चहल, प्रधान तेजपाल सिंह और सतपाल सिंह ब्रोका की अगुवाई में सिक्ख समाज, महिला संगत प्रतिदिन भोजन तैयार कर रहे हैं. यह भोजन जरूरतमंदों तक पहुंचाने का जिम्मा कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं को सौंपा गया है. इसमें रोटी बैंक यूथ क्लब, साथी फाउंडेशन और फाल्कन वेलफेयर सोसायटी प्रमुख रूप से शामिल है. लॉकडाउन के बाद से ही गुरुद्वारा साहिब के सांझा चूल्हा से लंगर बनाकर बांटा जा रहा है.

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान तेजपाल सिंह ने बताया कि फुटपाथ पर रैन बसेरा करने वाले, दिहाड़ी मजदूर, गरीब तथा असहाय लोगों लिए दोपहर एवं रात का भोजन तैयार किया जा रहा है. किसी की जाति या धर्म पूछे बिना निस्वार्थ भाव से भोजन पहुंचाया जा रहा है. लंगर का सारा खर्च बड़ा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी उठा रही है. जब तक लॉकडाउन की स्थिति रहेगी, तब तक यहां से भोजन जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाता रहेगा. गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने हाल ही में चार-पांच ऐसे परिवारों के लगभग 400 लोगों को भोजन कराया, जो यहां अंतिम संस्कार में पहुंचे थे और लॉकडाउन की वजह से अपने घर नहीं जा सके. इसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों परिवार शामिल थे.

पॉकेटमनी से 50 युवा दस गांव में दे रहे हर दिन राशन

शहर से थोड़ा हटकर बरवाअड्डा इलाके के 50 युवाओं का समूह दस गांवों के दो हजार लोगों को लॉकडाउन की तिथि से प्रतिदिन राशन दे रहा है. अपने जेब खर्च की रकम से ये राशन मुहैया करा रहे हैं. इन युवाओं ने किसी से चंदा नहीं मांगा है. इंसानियत की राह पर चलकर लोगों की मदद इनका मकसद है. ये रोजाना 100 से लेकर एक हजार रुपये तक प्रति व्यक्ति आपस में एकत्रित कर राशन खरीदते हैं. सुबह से शाम तक जरूरतमंदों को पहुंचाते हैं. इसके अलावा कुछ पंचायतों में 200 गरीबों को भोजन भी कराते हैं. कभी खिचड़ी तो कभी पूड़ी सब्जी. अपने समूह को युवाओं ने नाम दिया है ‘ह्यूमैनिटी ग्रुप धनबाद. ऐसा करते हुए 52 दिन हो गए हैं. समूह के संस्थापक आकर्ष गुप्ता और राजकुमार मंडल ने बताया कि कोरोना वायरस से हो रही जंग में हमने भी अपनी भूमिका तय की है. प्रतिदिन ढूढ़वाडीह, जियलगढ़ा, कोरियाटांड़ बिराजपुर, संभारी मुस्लिम टोला, नवाडीह, पंडुकी, कुलबेड़ा, कोरियाटांड़ एवं शिमलाटांड़ गांव में राशन बांट रहे हैं.

सर्वधर्म सामूहिक विवाह समिति दिहाड़ी मजदूरों का भर रही पेट

सर्वधर्म सामूहिक विवाह समिति लगातार जरूरतमंदों को भोजन करवा रही है. समिति बेलगड़िय़ा बस्ती, चांदमारी, नई दिल्ली, धनसार आदि बस्ती में लगभग 250 दिहाड़ी मजदूरों का पेट भर रही है. समिति के अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि कुछ जगहों पर दिहाड़ी मजदूर काम करते समय लॉकडाउन में यहीं रुक गए. इनके भोजन की व्यवस्था हमारी जिम्मेवारी है.

संसार परिवार की कैंटीन में हर दिन पक रहा भोजन

संसार परिवार की कैंटीन लॉकडाउन के समय से ही हर दिन लगभग 500 जरूरतमंदों को भोजन करा रही है. सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि दूर-दराज के इलाकों में भी भोजन पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है. टुंडी, गोविंदपुर, बरवाअड्डा आदि इलाकों में संसार परिवार लगातार भोजन के साथ सूखा राशन दे रहा है.

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