जबलपुर (विसंकें). संस्कृत के प्रचार-प्रसार, संस्कृत लेखन प्रतियोगिताओं एवं छात्रों में संस्कृत के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की दो दिवसीय संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया. संगोष्ठी का उद्घाटन विद्याभारती महाकौशल प्रान्त के संगठन मंत्री डॉ. पवन तिवारी जी द्वारा किया गया. संगोष्ठी में डॉ. तिवारी ने कहा संस्कृत पढ़ने वाला ही समाज को नई दिशा और दशा प्रदान करता है. संस्कृत में समाज के विकास की अपार संभावनाएं हैं. सृष्टि के आरंभ से ही विज्ञान का प्रादुर्भाव हुआ है. हमारे वेद, उपनिषद और पुराण आदि ग्रंथ विज्ञान के स्रोत हैं. संस्कृत देव भाषा है.
संस्कृत विश्व को दिशा और दशा देने वाली भाषा है. संस्कृत एक वैज्ञानिक भाषा है और संस्कृत में निहित ज्ञान-विज्ञान प्रामाणिक ज्ञान है. किसी भाषा की समृद्धि का इस बात से पता नहीं चलता कि उसे कितने लोग बोलते हैं, बल्कि इस बात से पता चलता है कि वो भाषा साहित्य और विज्ञान के मामले में कितनी समृद्ध है. आधुनिक शिक्षा त्वरित एवं तकनीकी माध्यम पर आधारित हो गई है. हमें भी शिक्षा के क्षेत्र में सभी पहलुओं पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए. संस्कृत शिक्षण को भी इसी के अनुरूप बनाना चाहिए. संस्कृत को संस्कृत भाषा के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए. छात्रों में संस्कृत शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्कृत को सरल एवं लोकप्रिय पाठ्यक्रम सामग्री से युक्त किया जाना चाहिए. इन सभी बिन्दुओं पर हमें आज चिंता करने की आवश्यकता है.