मेरठ (विसंकें). इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के महानिदेशक केजी सुरेश जी ने कहा कि जिस तरह से लोकतंत्र के प्रभाव के लिए जागरूक मतदाता का होना आवश्यक है. ठीक उसी प्रकार पत्रकारिता के लिए भी जागरूक पाठक, दर्शक का होना आवश्यक है. पत्रकारिता का व्यवसाय अब चुनौतिपूर्ण होता जा रहा है. प्रेस की स्वतत्रंता के नाम पर कुछ भी कहने की आजादी मांगी जा रही है जो समाज एवं देश के लिए या मानवता के लिए हितकारी नहीं है. प्रेस परिषद में भी उन्होंने सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.
वह बात विश्व संवाद केन्द्र द्वारा आयोजित नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह के अवसर पर चौधरी चरण सिंह विवि के बृहस्पति भवन में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में नकारात्मकता बढ़ रही है. नकारात्मकता की यह प्रवृत्ति समाज के लिए हानिकारक है. इसका परित्याग पत्रकारिता के लिए वर्तमान परिस्थिति में आवश्यक है. आज समाज के बीच अविश्वास की जो स्थिति पनप रही है, पत्रकारिता के माध्यम से उसे रोकने के साथ- साथ सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना होगा. आज मीडिया के कई विकल्प हमारे पास हैं, उनका उपयोग समाज हित को ध्यान में रखते हुए करने की आवश्यकता है. नारद जी के सन्देश की सार्थकता तभी होगी, जब हम उनके लोक जागरण और लोक कल्याण के सन्देश को आत्मसात् करेंगे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे चौधरी चरण सिंह विवि के कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि किसी भी देश की संस्कृति साहित्य और विचारशीलता को पराधीनता प्रभावित करती है. भारतीय संस्कृति के साथ भी यही हुआ. हमारे गौरवमयी इतिहास को हमें नहीं पढ़ाया गया. आज की पत्रकारिता को ग्रन्थों में वर्णित ज्ञान एवं दर्शन को समाज के समक्ष प्रस्तुत करना चाहिए. यह सुखद संयोग है कि विश्व संवाद केन्द्र
इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से समाज के बीच प्राचीन संस्कृति, ज्ञान-दर्शन, महापुरूषों पर वैचारिक एवं बौद्धिक चर्चा एवं परिचर्चा कर रहा है. आज संपूर्ण भारत की छवि श्रेष्ठता की ओर बढ़ रही है. पत्रकारिता का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मदरहुड विवि के कुलाधिपति धर्मेन्द्र भारद्वाज ने समाज में पत्रकारिता के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थिति में भी पत्रकार नारद जी की तरह सूचनाओं का संग्रहण एवं संप्रेषण करते हैं. पत्रकारिता मिशन थी और आज भी मिशन ही है. राष्ट्रदेव के सम्पादक अजय मित्तल ने कहा कि देवर्षि नारद सर्वत्र उपलब्ध एवं सर्वत्र विश्वसनीय थे. देवर्षि नारद नारायण के विषय में ज्ञान देने वाले संपूर्ण विश्व के लोकहित, लोकमंगल एवं लोककल्याण के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान करते थे. महर्षि बाल्मिकी ने रामायण एवं वेद व्यास जी ने श्रीमद्भागवत की रचना नारद जी की प्रेरणा से ही की.
कार्यक्रम में चार पत्रकारों, एक पत्रकारिता विषय के शिक्षक को आद्य पत्रकार देवर्षि नारद सम्मान से सम्मानित किया गया. सम्मानित होने वाले पत्रकारों में सन्तोष शुक्ल (दैनिक जागरण), दीपक कौशिक (अमर उजाला), नीरज श्रीवास्तव (हिन्दुस्तान), स्वाति भाटिया (आई नेक्स्ट), सुभारती विवि के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ. नीरज कर्णसिंह, रहे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशांत कुमार ने किया, धन्यवाद विश्व संवाद केन्द्र के अध्यक्ष आनन्द प्रकाश अग्रवाल ने किया.