देहरादून (विसंके). भविष्य को सफल बनाने में अनेक सम्भावनायें हैं, किंतु सफलता के लिये विज्ञान के साथ अध्यात्म भी जरूरी है. आज पूरा विश्व प्रगति के पीछे भाग रहा है लेकिन कोई भी अपने अंदर झांकना नहीं चाहता.
यह विचार जर्मनी के लेखक और दार्शनिक फ्रेस्टन ओरेमेन ने देवसंस्कृति विवि, हरिद्वार में चल रहे चतुर्थ योग महोत्सव के आध्यात्मिक सत्र को संबोधित करते हुए व्यक्त किये. कैस्टन ओरेमेन खुद जर्मनी के प्रसिद्ध व्यवसायी हैं. उन्होंने कहा कि यदि आज के युवाओं से पूछा जाय कि वे क्या बनना चाहते हैं तो वे कहेंगे वे व्यवसायी बनना चाहते हैं या फिल्म को अपना करियर बनाना चाहते हैं. किन्तु कोई भी अपने आपको अध्यात्म से जोड़कर जीवन के विकास के लिये कार्य करना नहीं चाहता. उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि वे एक कम्पनी के सीइओ हैं जो तीन बिलियन डालर का टर्नओवर करती है, किन्तु उन्होंने अपने आपको अब अध्यात्म से जोड़ा है. उन्होंने कहा कि मैं स्वयं अपने आपको भारतीय दर्शन, योग और अध्यात्म से जोड़ रहा हूँ. संवेदना, सामूहिक चेतना आज के युग की महती आवश्यकता है. जब तक व्यक्ति अन्तरदृष्टि साधना नहीं करेगा, तब तक विकास संभव नहीं. योग मनुष्य को भौतिक जगत से आंतरिक जगत की ओर ले जाता है.
महोत्सव में पुर्तगाल से आये स्वामी अमृत सूर्यानन्द महाराज ने कहा कि देवसंस्कृति विद्यालय एक यूनिवर्सिटी नहीं बल्कि एक देव परिवार के रूप में दिखता है. इस यूनिवर्सिटी में सिर्फ पाठ्य पुस्तकें ही नहीं पढ़ाईं जातीं, बल्कि व्यावहारिक अध्यात्म, योग, समाज प्रबंधन, स्वावलम्बन आदि जीवनोपयोगी विषय पर शिक्षण दिये जाते हैं.
स्वामी सूर्यानंद महाराज के साथ आये पुर्तगाल ग्रुप ने महात्मा गांधी के प्रिय भजन ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम’ गाकर विश्वशांति का संदेश दिया. साथ ही संगीत के साथ योगासनों का भी अभ्यास दिखाकर उपस्थित जन समुदाय का मन मोह लिया. इससे पूर्व योग फेस्टिवल में आये सभी विदेशी अभ्यागतों ने शांतिकुंज का अवलोकन किया.
गायत्री परिवार प्रमुख प्रणव पण्ड्या से मिलकर भेंट-परामर्श किया. विश्वभर से आये विदेशी अभ्यागत भारत, भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और योग की विशेष स्मृतियां सहेजकर सोमवार को स्वदेश लौटेंगे. इन्हीं में से एक यूरोप से आये इवाम ने भाव-विभोर होकर कहा कि मैं अपने वतन पहुंचकर यहां के योग और संस्कृति को जन- जन तक पहुंचाने का संकल्प करता हूं. अवाम पहली बार भारत यात्रा पर आये हैं. सोमवार को महोत्सव का समापन होगा. समापन कार्यक्रम में प्रणव पण्ड्या, स्वामी विशुद्धानंद, श्याम परादे, शालिनी सिंह सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहेंगे. देवसंस्कृत विश्वविद्यालय के मृत्युंजय सभागार में प्रात: साढ़े नौ बजे समापन समारोह होगा.