नई दिल्ली (इंविसंकें). वनवासी कल्याण आश्रम को एक-एक ईंट की तरह एक-एक कार्यकर्ता को जोड़कर खड़ा किया गया है, जो आज भारत के कोने-कोने में सजगता और वैभवता के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी जी रानी माँ गाइदिन्ल्यू जन्मशती समारोह व वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में संबोधित कर रही थीं. नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में रानी माँ गाइदिन्ल्यू के जन्मशती समारोह के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम जो एक राष्ट्र है, हम जो एक रक्त हैं, तो पूर्वोत्तर भारत के लोग और हम दिल्ली वाले अलग कैसे ? हमारे दिल भी एक हैं. हम सभी देशवासियों के दिल में सिर्फ राष्ट्र प्रेम ही धड़कता है.
आप लोगों को यह जान कर आश्चर्य होगा कि मात्र 13 साल की एक नन्हीं आयु की लड़की ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए हेपाऊ जादोनांग से मिलकर, अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन में भाग लिया था. वो एक लड़की नहीं, वीरांगना थीं. जिन्होंने भारत माँ को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए डटकर मुकाबला किया था. उन्होंने नागाओं के तीन कबीलों जेमी, ल्यांगमेयी तथा रांगमेयी में एकात्मता स्थापित करने के लिए हरक्का आंदोलन की शुरुआत की थी. माँ भारती को आजाद कराने के लिए ऐसा नारा कोई विलक्षण वीरांगना ही दे सकती है – “जाओ वापस, ये देश हमारा है.” रानी माँ गाइदिन्ल्यू ने समाज के हरेक वर्ग को एकत्रित होकर अंग्रेजों से लड़ने के लिए, जो आह्वान किया था – “अंग्रेजों को देश से खदेड़ना है, तो समन्वय हो राष्ट्र हमारा एक है.” ऐसा अद्वितीय कार्य देश के पूर्वोत्तर में अनेक स्वत्रन्त्र सेनानियों ने किया है. जिनकी शौर्यगाथा हमारे देश के इतिहास में कहीं दिखाई तक नहीं देती. इसलिए मैं यह प्रयास कर रही हूँ कि नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा रानी माँ गाइदिन्ल्यू की शौर्यगाथाओं को भी किताब के रूप में प्रकाशित करवाकर देश और समाज के समक्ष उपलब्ध कराया जा सके और रानी माँ गाइदिन्ल्यू की तरह उन अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की भी शौर्यगाथाओं को किताब के रूप में प्रकाशित करावाया जायेगा. इस कार्य के लिए मेरा दायित्व इसलिए भी और बढ़ जाता है, क्योंकि मैं भारत सरकार में मानव संसाधन मंत्री हूँ.
उन्होंने कहा कि यह शुभ कार्य सबसे पहले रानी माँ गाइदिन्ल्यू की शौर्यगाथाओं की किताब से शुरू होगा. यह सिर्फ हिन्दी और अंग्रेजी में ही उपलब्ध नहीं होगा, यह पूर्वोत्तर राज्यों में वहां की क्षेत्रीय बोलियों में एवं देश के अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराई जायेगी. ऐसा इसलिए ताकि ये शौर्य प्रकाश देश के हरेक घर में पहुंचे. मेरा भारत देश और माँ भारती संपन्न और खुशहाल हों, यही मेरी अभिलाषा. कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नागालैंड के मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग ने कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम का एक अभिन्न अंग बनकर मुझे जो खुशी हो रही है. इस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकता हूँ. क्योंकि कुछ खुशियां सिर्फ महसूस की जाती हैं, जिसे आज वनवासी परिवार ने कराया है. रानी माँ गाइदिन्ल्यू का एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि रानी माँ एक अद्वितीय प्रतिभा संपन्न विलक्षण वीरांगना थीं, जिन्होंने कभी भी अंग्रेजों के सामने झुकाना पसंद नहीं किया. मैं भारत सरकार और वनवासी कल्याण परिवार को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूँ! जो इन्होंने रानी माँ गाइदिन्ल्यू के जन्म शताब्दी को पूरे दश में बड़ी तन्मयता और उल्लास, गर्व के साथ मनाना शुरू किया है.