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समग्र, समावेशी भाव से गौ-सेवक बनकर ही स्वस्थ रह सकता है समाज – अशोक वार्ष्णेय

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शिमला (विसंकें). आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री अशोक वार्ष्णेय जी ने कहा कि समग्र, समावेशी भाव से गाय की सेवा करने पर ही स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं पर विचार करके आरोग्यता प्राप्त की जा सकती है. वे शिमला में ‘गौमाता का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में संबोधित कर रहे थे.

कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, आरोग्य भारती के संगठन मंत्री अशोक वार्ष्णेय मुख्य वक्ता, गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष वीरेंद्र कंवर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे.

उन्होंने आरोग्य भारती द्वारा देशभर में किये कार्यों का विस्तार से वर्णन किया. उन्होंने कहा कि आज विश्व में दूध के क्षेत्र में अनेक प्रकार के अनुसंधानात्मक कार्य हो रहे हैं. जर्सी गाय के दूध में गुणवत्ता नहीं होती, भले ही वह कितना भी अधिक दूध दे. जबकि देसी नस्ल की गायों के दूध व स्वास्थ्यवर्धक गुणों की कोई तुलना नहीं है. उन्होंने पंचगव्य की उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि आज लोग बड़ी शान से बताते हैं कि हमारा एक बेटा अमेरिका में है, दूसरा ब्रिटेन में है. लेकिन जब उनके खुद के बारे में पूछा जाता है कि वे कहां पर रहते हैं तो वे शर्म से बताते हैं कि वह वृद्धाश्रम में रहते हैं. इसी प्रकार की हालत आज गायों की भी हो गयी है. उनसे लोग दूध-दही जैसे अमृत तुल्य पदार्थों को प्राप्त करते हैं, लेकिन बाद में उनको सड़क पर छोड़ देते हैं. उन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कारों में गाय के महत्व को बताते हुए कहा कि भारतीय कृषि का आधार गाय ही रही है. कहा कि पहले गांवों में प्रवेश करते ही देसी गाय हर घर आंगन की शोभा होती थी, लेकिन दुर्भाग्य से आज गांवों में भी गायों की स्थिति दयनीय हो गयी है. उन्होंने कहा कि भारतीय समाज हर प्रकार से समृद्ध समाज रहा है, लेकिन कुछ षड्यंत्रों के कारण ऐसी व्यवस्था बना दी गयी कि भारतीय समाज से सभी प्रकार की समृद्धियों को धीरे-धीरे समाप्त कर दिया गया. यही कारण है भारतीय देसी गाय की दुर्दशा हो रही है.

आरोग्य भारती के राष्ट्रीय सचिव डॉ. राकेश पंडित ने कहा कि देसी गाय के संवर्धन से किसानों की आय को कई गुना बढ़ाया जा सकता है. खेती में अत्यधिक रसायन के प्रयोग से जमीन विषयुक्त हो गयी है. अगर पर्यावरण को शुद्ध रखना है तो देसी गाय के महत्व को हमें समझना होगा.

गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष वीरेंद्र कंवर ने कहा कि भारत का चिकित्सा विज्ञान गौ आधारित रहा है. जब देश हरित और श्वेत क्रांति की ओर बढ़ा तो इससे उत्पादन में तो बढ़ौतरी हुई, लेकिन खेती विषयुक्त हो गई. आज मानव जीवन पर अनेक प्रकार के संकटों का कारण यही है कि मनुष्य ने गाय के महत्व को नकारना प्रारम्भ कर दिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अनेक गौ अभ्यारण्यों का निर्माण किया जा रहा है. इस प्रकार का अभ्यारण्य कोटला मड़ोग में तैयार हो चुका है. गौ संवर्धन के लिए 10 करोड़ का एक प्रोजेक्ट सिरमौर के बाथल में शुरू किया गया है.

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