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समस्त जनों के प्रेरणास्रोत भारत रत्न नानाजी देशमुख

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जबलपुर (विसंकें). नानाजी देशमुख ने अपना जीवन वंचितों और शोषितों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया. एकात्म मानववाद को अपने जीवन में उतारकर जीवन भर सामाजिक समरसता के लिए “भारत रत्न श्री नानाजी” ने आजीवन कार्य किया. प्रखर राष्ट्रवादी, महान समाजसेवी नानाजी न सिर्फ असंख्य कार्यकर्ताओं, बल्कि आमजन के भी प्रेरणास्रोत हैं. नानाजी ने अपनी वसीयत की पंक्तियों में मनोभाव व्यक्त करते हुए कहा था – “मेरी यह मानव देह मानवमात्र की सेवा करने के लिए सर्वशक्तिमान परमात्मा द्वारा वरदान के रुप में मुझे प्राप्त है. उसी की अनुकंपा से मैं आज तक इस देह द्वारा मानव सेवा करता आया हूं. मेरी मृत्यु के बाद भी इस देह का जरूरतमंदों के लिए उपयोग किया जाए, यह मेरी एकमेव अभिलाषा है”. इसलिए हम सब उन्हें आधुनिक युग के दधीचि कहते हैं.

नर्मदा सेवा श्री साकेत धाम के संस्थापक स्वामी श्री गिरीशानंद जी महाराज भारत सरकार द्वारा राष्ट्र ऋषि नानाजी को भारत रत्न सम्मान देने के उपलक्ष्य में नानाजी देशमुख प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान जबलपुर द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रृंखला – आधुनिक युग के दधीचि राष्ट्र ऋषि श्री नानाजी एवं नानाजी के साथ कार्य किये कार्यकर्ताओं के आत्मीय लेख पर आधारित पत्रिका “महामानव नानाजी” का विमोचन किया गया. इस अवसर पर विद्याभारती महाकौशल प्रान्त के सरस्वती शिशु मंदिर के छात्र-छात्राओं द्वारा 1-1 रुपये के सहयोग से संचित राशि “दीनदयाल शोध संस्थान” को गौशाला वाहन क्रय हेतु दी गई. इसके साथ ही शोध संस्थान ने भारत सरकार का आभार व्यक्त किया.

इस अवसर पर नर्मदा सेवा श्री साकेत धाम के संस्थापक स्वामी श्री गिरीशानंद जी महाराज, डॉ. भरत पाठक, अभय महाजन, डॉ. पीके बिसेन, डॉ. कपिल देव मिश्र मंचस्थ रहे.

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