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सम्पूर्ण समाज संगठित, समरस, समभाव होकर मानवता की उन्नति के लिए कार्य करे – रामाशीष सिंह जी

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गोरखपुर (विसंकें). प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संगठन मंत्री रामाशीष सिंह जी ने कहा कि मकर संक्रांति के दौरान सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है. इसके बाद से दिन बड़े होने शुरू हो जाते हैं. समाज से धुंध, अंधकार छंटने लगता है. ये नकारात्मकता पर सकारात्मकता की विजय का पर्व है. इसीलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सहभोज के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिससे समाज में व्याप्त छुआछूत, भेदभाव जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए सभी साथ बैठें, मन की मलीनता दूर हो, लोगों में समानता का भाव पैदा हो, समाज में समरसता का संचार हो. रामाशीष जी गोरखपुर विश्वविद्यालय की अमृता कला वीथिका में आयोजित मकर संक्रांति उत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दीन दयाल नगर, गोरक्ष प्रांत द्वारा किया गया था.

उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज में किसी जाति के ऊंचा या नीचा होने का सवाल प्राचीनकाल में कभी नहीं उठा, क्योंकि यहां जातियां ऊंची या नीची थी ही नहीं. लेकिन विदेश से आए आक्रमणकारियों ने हमारे समाज को तोड़ने के लिए हमारे अंदर ऐसे भाव भरे, जिससे समाज में विघटन पैदा हो, लोग आपस में लड़ें. जिससे उनके लिए (विदेशियों को) यहां राज करना आसान हो जाए. लेकिन रामकृष्ण, स्वामी विवेकानंद, महर्षि अरविन्द, स्वामी दयानन्द, रामतीर्थ जैसे अनेक भारतीय संतों एवं मनीषियों ने इस कुचक्र को तोड़ने के लिए लगातार संघर्ष किया.

रामाशीष जी ने कहा कि बौद्ध, जैन, सिक्ख, सभी हिन्दू धर्म की व्यापक धारा के अंग हैं और ऐसा न मानना गुनाह है. उन्होंने चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि हिन्दू समाज का श्रेष्ठ तत्व ज्ञान और व्यवहार अलग – अलग नहीं होना चाहिए. चर्च पोषित ईसाई मिशनरियाँ व कम्युनिस्ट ताकतें विश्व के अन्य देशों में तो परस्पर बैरी की तरह कार्य करते हैं. परन्तु भारत में वे संयुक्त मोर्चा बना कर हिन्दू समाज को तोड़ने का कार्य करते हैं. आज हिन्दू समाज अपनी कमजोरियों से लड़ने के लिए कमर कस कर खड़ा हो रहा है. सम्पूर्ण हिन्दू समाज संगठित, समरस, समभाव होकर देश और मानवता की उन्नति के लिए कार्य करे, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी का यही सपना था. आज करोड़ों लोग इसी सपने को पूरा करने में लगे हैं. कार्यक्रम की अध्यक्षता गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपाल प्रसाद जी ने की.

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