नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि हमें वनवासियों को दया भाव से नहीं, समरसता के भाव से देखना चाहिए. जैसा भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान माता शबरी, निषाद व सुग्रीव आदि वनवासियों को गले लगाया और सम्मान दिया. माता शबरी के जूठे बेर खाकर ही वे भगवान राम कहलाए. इसी प्रकार भगवान कृष्ण ने गरीब सुदामा का सत्कार किया और वे द्वारिकाधीश कहलाए. इंद्रेश कुमार जी वनवासी कल्याण आश्रम, दिल्ली के वार्षिकोत्सव में संबोधित कर रहे थे. वार्षिकोत्सव 16 जून 2019 को विवेकानन्द विद्यालय,आनंद विहार दिल्ली में सम्पन्न हुआ. उन्होंने कहा कि जिंदगी में केवल बड़ा काम करने की मत सोचिए, छोटे-छोटे काम करते रहिये, बड़ा काम अपने आप चलकर आ जाएगा. जिंदगी में कभी आसान रास्ता ढूंढने की आदत मत डालिए, कठिन प्रश्नों का हल ढूंढने की कोशिश करिए.
देश की राजधानी दिल्ली वनवासी क्षेत्र नहीं है, फिर भी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता वर्ष भर क्रियाशील रहकर कल्याण आश्रम की गतिविधियों जैसे वनयात्रा, चिकित्सा सेवा, वनवासी बच्चों के छात्रावास (निःशुल्क आवासीय शिक्षा हेतु) से जुड़े रहते हैं.
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. उपेन्द्र कुमार चौधरी, मुख्य अतिथि अंजु कमलकांत (महापौर, पूर्वी दिल्ली नगर निगम), विशिष्ट अतिथि डॉ. अरविंद कुमार गुप्ता, विनोद कुमार, सूर्यप्रकाश जालान तथा मुख्य वक्ता इन्द्रेश कुमार जी ने शंखनाद व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सहयोग से राजस्थान की सहरिया जनजाति के वनवासी बंधु मुन्नालाल, सुग्रीव व उनके साथी कलाकारों ने राई नृत्य गणेश वंदना की. पशु पक्षियों की नकल पर होली के अवसर पर किया जाने वाला स्वांग नृत्य प्रस्तुत किया.
इसके अतिरिक्त नव्या गोयल, आर्यवर्त शुक्ला, अर्णव शुक्ला व दीपक शुक्ला ने भी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी. प्रान्त सचिव आनंद भारद्वाज जी ने पिछले वर्ष का कार्यवृत प्रस्तुत किया. अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किये गए तथा कलाकारों को शाल प्रदान कर सम्मान किया गया. प्रान्त अध्यक्ष शांति स्वरूप बंसल जी ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन सीमा ओझा जी ने किया. कार्यक्रम स्थल पर कल्याण आश्रम के साहित्य का वितरण किया गया.