नारद जयन्ती – पत्रकार सम्मान समारोह
जयपुर (विसंकें). प्रो. राकेश सिन्हा जी ने कहा कि इस देश को खतरा जयचंद और मीर जाफरों से नहीं, बल्कि इस देश को खतरा सामाजिक विभाजन से है. जिस दिन भारत इस सामाजिक विभाजन को समाप्त कर लेगा. भारत को विश्व गुरू बनने से कोई भी ताकत नहीं रोक सकती. प्रो. राकेश सिन्हा जी रविवार, 29 अप्रैल को जयपुर में विश्व संवाद केन्द्र एवं पाथेय कण के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित नारद जयन्ती एवं पत्रकार सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि आज भी समाज में एक बड़ा वर्ग दलित बनकर वंचित बना हुआ है. चाहे वह व्यक्ति सामाजिक, आर्थिक या सांस्कृतिक कारणों से पीछे रह गया हो उसके प्रति समाज को संवेदनशील होना पड़ेगा. एक छोटी सी आरक्षण व्यवस्था की बात होती है और हम पूरे दलित समाज पर सवाल खड़े कर देते हैं. हम नामदेव जी को भूल जाते हैं, हम तुकाराम को भूल जाते हैं. हम उन बाबा साहेब आंबेडकर जी को भूल जाते हैं, जिनको एक तांगे वाला इसलिए बैठाने से मना कर देता है कि तांगा भी छुआछूत का शिकार हो सकता है. हम तर्क कुतर्क वहां करते हैं जो वर्तमान में हमें लक्षित होता है. हम भूत, वर्तमान और भविष्य के भारत के सपनों में एक बड़े समाज को जब तक अपने समान या बराबरी पर नहीं ले आते हैं, तब तक भारत को विश्व गुरू बनाने की बात करना भारत माता के साथ मजाक करने की तरह है.
उन्होंने पत्रकारिता के स्वर्णिम युग पर कहा कि कोई भी राष्ट्र तब तक ही जीवन्त रहता है, जब तक वहां की पत्रकारिता राष्ट्र की आत्मा के साथ जुड़ी रहती है. स्वतंत्रता से पूर्व जो पत्रकारिता पूंजीवाद से परे पूरी तरह राष्ट्र को समर्पित थी. उसमें राष्ट्रीय हित को प्रमुखता दी जाती थी. पत्रकारिता का उद्देश्य उन ताकतों को परास्त करना था. जो भारत को गुलाम बनाकर लोगों पर अत्याचार करती थीं. पत्रकार अपने हित को समाज के हित से अलग रखता था. उन्होंने कहा कि सभी चीजों का सार पृथ्वी है, इसलिये हम इसे मातृभूमि कहते हैं. पृथ्वी अर्थात् पानी, पेड़, व्यक्ति, बोली, विवेक, उद्गार और ओम् हमें पूरे ब्रह्मांड से जोड़ती हैं. यही भारत का विचार है. उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारत बदल रहा है, भारत में आइडियाज ऑफ इंडिया का अंत हो रहा है, ऐसा नहीं है. जिस तरह से पश्चिम ने हमें ध्वस्त किया था. सन् 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद से सौ गुना गति से अपनी मौलिकता में पुनः प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ रहा है. इसे एक हजार पश्चिम भी नहीं रोक सकते.
समारोह के अध्यक्ष भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत गौरीशंकर गुप्ता जी ने कहा कि समाज में अच्छाई व बुराईयां हमेशा रहती हैं. भारत सबसे कम क्राइम वाला देश है, जबकि समाचारों में ऐसा माहौल पैदा कर दिया जाता है कि यह क्राइम वाला देश है. पत्रकार को समाज व देश हित को ध्यान में रखते हुए समाचारों में संतुलन बनाये रखना चाहिये. देवर्षि नारद हमारी सभ्यता व संस्कृति के परिचायक हैं. रामायण व महाभारत लिखने के लिये महर्षि बाल्मीकि व वेद व्यास को नारद जी ने ही प्रेरणा दी थी. वे सत्य की विजय के लिये घटनाओं की जानकारी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते थे.
उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता व संस्कृति सबसे प्राचीन, जीवन्त व प्रगाढ़ है. हमारे प्राचीन ग्रन्थों में जैसी सच्चाई व विज्ञान है, वैसा कहीं नहीं है. हमारे वेदों, उपनिषदों में सभी प्रकार के प्रश्नों के उत्तर हैं. जैसे कि संसार क्या है? मैं कहां से आया? कैसे उत्पत्ति हुई? बाद में हम कहां चले जाते हैं? जबकि आज का विज्ञान अभी शोध ही कर रहा है.
समारोह के मुख्य अतिथि सुबोध पी.जी. महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के.बी. शर्मा जी ने पत्रकारिता के विकास में पत्रकारिता शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दिया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पाथेयकण के सम्पादक कन्हैयालाल चतुर्वेदी जी ने कहा कि पहली बार पाथेयकण द्वारा वर्ष 2002 में नारद जयन्ती मनाई गई थी जो निरंतर प्रति वर्ष मनाई जाती है. उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया.
पत्रकारों का सम्मान
नारद जयन्ती के अवसर पर आयोजित समारोह में पांच पत्रकारों का सम्मान किया गया. प्रिंट मीडिया से नई दुनिया के मनीष गोधा, फोटो पत्रकारिता के लिये टाईम्स ऑफ इण्डिया के भागीरथ, न्यूज पोर्टल के लिये ईनाडु टीवी भारत के अंकुर जाखड़, इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के लिये जी न्यूज राजस्थान के आशुतोष शर्मा और लाईफटाईम अचीवमेंट सम्मान से राजस्थान पत्रिका के प्रदीप सिंह शेखावत को सम्मानित किया गया.