कानपुर. राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका द्वारा आयोजित वचनेश त्रिपाठी स्मृति व्याख्यानमाला में शिरकत करने आए राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोग पेट की भूख मिटाने के लिए शहर जाने को मजबूर हैं. जिससे दिन प्रति दिन भारत की कुटंब परंपरा कमजोर होती जा रही है. अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में शहरों की जनसंख्या बढ़ जाएगी और परिवार के बुजुर्ग लोग तन्हा जीवन व्यतीत करने को मजबूर होंगे.
बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में रविवार को राष्ट्रधर्म मासिक पत्रिका लखनऊ द्वारा व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया था. जिसका विषय था – भारत की कुटुंब परंपरा. मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पत्रिका के दो पूर्व संपादक पदमश्री वचनेश त्रिपाठी, भानु प्रताप शुक्ल के चित्र पर माल्र्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. इसके बाद मुख्य अतिथि ने वरिष्ठ स्तंभकार जवाहर लाल कौल को 21 हजार रूपए नकद व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
राज्यपाल ने कहा कि भारत की कुटुंब परंपरा को कमजोर होने के दो कारण हैं. एक तो पाश्चात्य संस्कृति के चलते परिवार टूट रहे हैं, दूसरा भूख के लिए लोग शहरों की ओर जाने को मजबूर हैं. जिससे संयुक्त परिवार लगातार टूट रहे हैं. इन दोनों स्थितियों से हमारी भारत की कुटुंब परंपरा कमजोर होती जा रही है. हमें इन दोनों विषयों पर विचार करना चाहिए. कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे महापौर कैप्टन जगतवीर सिंह द्रोण ने कहा कि परिवार का बृहद रूप है कुटुंब. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि परिवार ही टूट रहा हो तो कुटुंब की सोचना दूर की बात होगी. ऐसे में हम सब लोगों को कुटुंब की पहली चिंता करनी चाहिए, कुटुंब अपने आप मजबूत हो जाएगा. कार्यक्रम का संचालन पवनपुत्र बादल द्वारा किया गया. कार्यक्रम में आए सभी लोगों को आभार प्रह्लाद बाजपेई ने किया. कार्यक्रम में गणमान्य लोग उपस्थित थे.
मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि भारत की कुटुंब परंपरा का अर्थ है, एक साथ रहना व कमजोर व्यक्ति को संभालना. लेकिन हम लोग कमजोर होने के भय से जीवन बीमा करा रहे हैं. उन्होंने पूछा कि आज से पचास वर्ष पूर्व क्या कोई व्यक्ति पॉलिसी कराता था, इसके बावजूद उसका जीवन बड़े आराम से कट जाता था. इसके पीछे कुटुंब की परंपरा ही रही है. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि कुटुंब रूपी पॉलिसी को मजबूत करें ताकि सुखमय जीवन व्यतीत हो सके.