कॉल फॉर जस्टिस द्वारा गठित कमेटी ने कहा, टुकड़े गैंग, पिंजरा तोड़ शामिल
नई दिल्ली. दिल्ली स्थित गैर सरकारी संगठन कॉल फॉर जस्टिस दिल्ली दंगों को लेकर अपनी जांच रिपोर्ट गृहमंत्री को सौंप दी. 76 पृष्ठों की अपनी रिपोर्ट में कमेटी ने मीडिया रिपोर्ट्स, सोशल मीडिया में उपलब्ध जानकारी व प्रभावित लोगों से बात कर एकत्रित जानकारी के आधार पर तैयार की है.
संस्था द्वारा गठित जांच कमेटी में बॉम्बे हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अम्बादास जोशी (अध्यक्ष), सेवानिवृत्त आईएएस एमएल मीणा (सदस्य), सेवानिवृत्त आईपीएस विवेक दुबे (सदस्य), एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. टीडी डोगरा (सदस्य), नीरा मिश्रा (सदस्य), एडवोकेट नीरज अरोड़ा (सदस्य सचिव) शामिल थे.
जांच कमेटी ने 29 फरवरी और 01 मार्च को दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था. तथा दंगे में प्रभावितों, प्रत्यक्षदर्शियों से मुलाकात कर उनसे जानकारी प्राप्त की थी. जांच कमेटी ने धरातल पर वास्तविक स्थितियों का गहनता से विश्लेषण करने के पश्चात अपनी रिपोर्ट तैयार की. कमेटी ने पाया कि दिसंबर में नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पारित होने के पश्चात देशभर में सुनियोजित विरोध प्रदर्शनों का क्रम शुरू किया गया, और इसी क्रम में पूर्व नियोजित हिंसा को अंजाम दिया गया, सीएए के नाम पर विरोध प्रदर्शनों की आड़ में उत्तर पूर्व दिल्ली में हमले किये गए.
कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि दिल्ली का दंगा पूरी तरह से सुनियोजित था. पूरी योजना बनाकर पहले सीएए को लेकर लोगों को भ्रमित किया गया और उसके साथ ही दिल्ली में दंगा कराने की योजना की गई.
रिपोर्ट में यह कहा गया है कि दिल्ली में दंगा कराने के लिए 5 हजार से ज्यादा लोग दिल्ली के बाहर से बुलाए गए थे. वहीं, दंगे के लिए पीएफआई की तरफ से फंडिंग की गई. साथ ही रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि दो महीने की प्लांनिग के बाद दिल्ली में दंगा कराया गया.
फरवरी के अंतिम सप्ताह में उत्तर पूर्व दिल्ली में 23, 24 और 25 फरवरी को हुए दंगे में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी. दंगाईयों के हमले में डीसीपी घायल हो गए थे, जबकि कॉन्स्टेबल रतनलाल की भी मौत हो गई थी.
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