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सुरक्षा बलों पर निराधार आरोप लगाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण – ले. जनरल (से.नि.) एनएस मलिक

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प्रदर्शननई दिल्ली. स्वदेशी जागरण मंच  दिल्ली प्रांत की ओर से 22 मार्च 2016 को मण्डी हाऊस से जंतर-मंतर तक पैदल मार्च निकाला गया. जंतर मंतर पर पुतला दहन के साथ मार्च समाप्त हुआ. मार्च में हजारों की संख्या में प्रबुद्ध नागरिकों ने भाग लिया एवं मार्च का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) एनएस मलिक सहित जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, मानव अधिकार कार्यकर्ताओं ने किया.

एनएस मलिक, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) वीएम पाटिल ने कहा कि भारतीय सेना विश्व की सर्वाधिक अनुशासित सेनाओं में से एक है. सेना विषम परिस्थितियों में भी न केवल सीमाओं की रक्षा करती है, वरन देश में आने वाली आपदाओं में भी देश हित के लिए धैर्यपूर्वक कार्य करती है. ऐसी स्थिति में जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष, जो स्वयं एक अपराध में जमानत पर छूटे हुए हैं, उनके द्वारा सुरक्षा बलों पर निराधार आरोप लगाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए.

स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख दीपक शर्मा ने कहा कि अफजल गुरू कोई साधारण अपराधी नहीं था. उसने संसद पर हमला करके समूचे देश के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं व सरकार के प्रधानमंत्री, मंत्रियों की हत्या करके समाज को नेतृत्व विहीन करने का षड़यंत्र किया था. जिसके दुष्परिणाम देश को दशकों तक भुगतने पड़ते. ऐसे अपराधी की फांसी की बरसी जेएनयू में कुछ तत्वों ने मनाई, इसकी जितनी कड़ी निंदा की जाए वह कम है. दिल्ली विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर डॉ. अश्वनी महाजन ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर देशद्रोही गतिविधियों का अड्डा बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

जेएनयू के प्रोफेसर शतेन्द्र शर्मा ने कहा कि जेएनयू जैसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान में अधिकांश छात्र देशभक्त एवं प्रतिभाशाली हैं. जिहादी तत्व एवं घोर वामपंथी तत्व कुछ छात्रों को भटका कर उनका उपयोग देश विरोधी गतिविधियों के लिए करते हैं. जेएनयू के राष्ट्रवादी शिक्षक एवं छात्र ऐसे तत्वों को कभी भी अपनी घृणित चालों में सफल नहीं होने देंगे. मंच के दिल्ली हरियाणा के प्रांत संगठक कमलजीत ने कहा कि जेएनयू में कुछ छात्रों ने जो नारे लगाए, वह न केवल राष्ट्रद्रोह है, बल्कि अफजल की फांसी को ज्यूडिशियल किलिंग कहना माननीय सर्वोच्च न्यायालय का अपमान भी है. ऐसे तत्वों के विरूद्ध कठोरतम कार्यवाही की जानी चाहिए.

प्रदर्शन1मंच के दिल्ली प्रांत संयोजक सुशील पांचाल ने कहा कि शहीदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित मार्च में हमें देशभक्तों के बलिदान से कुछ सीख लेने की जरुरत हैं. जिन्होंने अपना सर्वस्व देश पर लुटा दिया. जिस आजादी को दिलाने में देश के शहीदों ने बलिदान दिया, उसी आजादी का मजाक ‘‘ भारत के टुकड़े करने ’’ जैसे नारों से उड़ाने वाले एवं उनका समर्थन करने वाले बुद्धिजीवियों को शर्म आनी चाहिए. वास्तव में आजादी तो आतंकियों को शहीद बताने वालों, सैनिकों का अपमान करने वालों से कन्हैया नाम रख कंस की वाणी बोलने वालों से चाहिए. ऐसा लगाता है कि पाकिस्तान आतंकी को पैदा करने के लिए अड्डे चलाता है. और हम विश्वविधालय चला रहे हैं, ऐसे शैक्षिक संस्थानों की सफाई की आवश्यकता है.

इंटरनेशनल ह्यूमन राईट्स प्रोटेक्शन काऊंसिल के अध्यक्ष जमशेद आलम ने कहा कि जिन असदुद्दीन औवेसी साहब ने कहा कि ‘ मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा ’ तो उनसे मेरा कहना है कि आपने खुद ही अपने कथन में ‘भारत माता की जय बोल दी. फिर भी कोई एतराज है तो ‘ मादरे वतन ’ बोलने की इजाजत तो इस्लाम भी देता है तो वह ही बोल दीजिए. ऐसे भारतमाता का अपमान करने वाले देशद्राही व्यक्ति को भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है. जबकि पूरे विश्व में मुस्लिम भाइयों को भारत में सर्वाधिक अधिकार प्राप्त हैं. हजारों की तादात में आए कार्यकर्ताओं व सामाजिक संगठनों के कार्यकताओं को सेना अधिकारी बिग्रेडियर आरबी शर्मा, ग्रुप कैप्टन विजय वीर, ताराचंद उपाध्याय, जितेन्द्र महाजन, कमल तिवारी (सीए) एवं रविन्द्र सोलंकी ने भी सम्बोधित किया.

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