कोविड-19 महामारी में सेवा कार्यों को मिल रहा अकल्पनीय सहयोग
नई दिल्ली. भारतीय समाज में सेवा का भाव रचा बसा हुआ है. संकट में फंसे लोगों की सहायता के लिए लोग स्वतः आगे आते हैं. वर्तमान संकट में भी हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार सहायता कर रहा है. देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसे अनेक उदाहरण सामने आ रहे हैं. लोग अपनी जरूरतों को कम करके सामर्थ्य से अधिक बढ़कर दूसरों की सहायता कर रहे हैं. सहयोग का मकसद श्रेय लेना नहीं, बल्कि संकट के समय में कोई अभाव में न रहे, भूखा न रहे.
कोरोना महामारी से लड़ाई में जरूरतमंदों की सहायता में मुंबई निवासी चार्टर्ड अकाउंटेंट संजय लोढ़ा (चैम्बूर) भी अन्य कार्यकर्ताओं के साथ डटे हैं. उन्होंने अनुभव साझा करते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं हमें अधिक प्रोत्साहित करती हैं.
संजय संघ के स्वयंसेवक हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जनकल्याण समिति, विश्व हिन्दू परिषद द्वारा विभिन्न स्थानों पर सेवा केंद्र चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि अनेक अनुभव ऐसे आ रहे हैं जो सेवा में लगे कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन करते हैं.
चैम्बूर की एक साधारण सी झोपड़ पट्टी में रहने वाली एक महिला को जब संस्था के सेवा कार्यों की जानकारी मिली तो इससे प्रभावित होकर उन्होंने तीन साल के दौरान थोड़ा-थोड़ा कर जमा की गई 30 हजार रुपये की राशि सेवा कार्य के लिए दान कर दी. साथ ही यह भी आग्रह किया कि उनके सहयोग को गुप्तदान में लिखा जाए, मेरा नाम कहीं न लिखा जाए. जरूरतमंदों की सहायता की जाए.
उसी तरह घाटकोपर की सब्जी मंडी है, सब्जी मंडी वालों को पता चला कि हम गरीबों की सेवा कर रहे हैं, तो सभी सब्जी वालों ने निर्णय लिया कि जो सब्जी हम रोज बेचते हैं, सुबह उसमें से कुछ सब्जी इस प्रकल्प के लिए निकालेंगे, गरीबों के भोजन के लिए देंगे. ऐसे लगभग दो सौ किलो सब्जी रोज इकट्ठी हुई, जो उन्होंने हमें दी.
इतना ही नहीं घाटकोपर के दूध वाले हैं, जो डेयरी चलाते हैं. सब दूध वालों ने निश्चित किया कि हम रोज थोड़ा-थोड़ा दूध देंगे, आप यह दूध लेकर पुलिस वालों को, स्वास्थ्य कर्मियों को सुबह 5-6 बजे की चाय दो, क्योंकि उस समय उनको कोई चाय नहीं देता है.
ऐसी एक या दो घटनाएं नहीं, कई घटनाएं हैं जो हमारे अनुभव में आ रही हैं. ऐसी घटनाएं स्वयंसेवकों का प्रोत्साहन करती हैं. हमारा उत्साह बढ़ाती हैं.
सभी प्रसंग कुछ वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, जैसा रामायण में रामसेतू बांधते समय के हैं. जिस तरह रामसेतू के निर्माण में श्रीराम चंद्र जी को वहां मौजूद हर प्राणी मात्र का सहयोग मिला. संजय लोढ़ा बताते हैं कोविड-19 महामारी से लोगों के बचाव में लगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं को भी हर आय वर्ग से संबंधित लोगों की मदद मिली है, जो अकल्पनीय है.
#SanjayLodha a CA, a Swayamsevak, serving the needy since 26 March at VHP centre in Sion & RSSJankalyanSamiti in Chembur, Ghatkopar shares heartwarming experiences of common & poors' readiness to support #rssfightscorona campaign pic.twitter.com/WAm5ZH20He
— Ratan Sharda 🇮🇳 (@RatanSharda55) May 5, 2020