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सेवा कार्य ही ईश्वरीय कार्य – प्रो. संजय द्विवेदी जी

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सेवा भारती द्वारा मेधावी छात्र-छात्राओं का सम्मान, 250 विद्यार्थियों को किया पुरस्कृत

भोपाल (विसंकें). माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं लेखक प्रो. संजय द्विवेदी जी ने कहा कि सेवा कार्य ही ईश्वरीय कार्य है. जब हम समाज को शिक्षित, संस्कारित, स्वावलंबी और समरस बनाने के लिए सेवा कार्य करते हैं तो उसी आनंद की अनुभूति करते हैं, जो ईश्वर की आराधना में प्राप्त होता है. वे सेवा भारती की ओर से आयोजित “मेधावी छात्र-छात्रा सम्मान समारोह” में संबोधित कर रहे थे. सेवा भारती भोपाल के शंकराचार्य मंडल की ओर से कार्यक्रम का आयोजन 29 जुलाई को पीपुल्स मॉल के सभागार में किया गया. समारोह में सेवा बस्तियों के 20 संस्कार केंद्रों पर पढ़ने वाले 250 से अधिक बच्चों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये थे. प्रो. संजय द्विवेदी जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक बालासाहब देवरस जी की प्रेरणा से वर्ष 1980 में सेवा भारती का विधिवत कार्य प्रारंभ हुआ. अपनी निष्ठा और संकल्प के कारण सेवा भारती ने कम समय में ही सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है. आज सेवा भारती शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार, स्वावलंबन, समरसता के क्षेत्र में अनेक प्रकल्प संचालित कर रही है.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहकारिता एवं गैस राहत पुनर्वास मंत्री विश्वास सारंग जी ने कहा कि सेवा कार्य अनेक संस्थाएं करती हैं, किन्तु सेवा की आड़ में ज्यादातर संस्थाओं के कुछ स्वार्थ होते हैं. यह पूरे विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि दुनिया में सेवा को सेवा के रूप में जमीन पर उतारने का कार्य केवल सेवा भारती कर रही है. संस्कार के बिना सेवा अधूरी है. प्रत्येक व्यक्ति का समाज के प्रति उत्तरदायित्व है. मनुष्य जीवन सिर्फ अपने लिए नहीं है. हमें अपने जीवन को सार्थक करना है तो देश के लिए जीना चाहिए. उन्होंने घोषणा की कि वह सेवा भारती के प्रकल्पों के लिए बस्तियों में स्थान दिलाएंगे.

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं भोपाल संभाग के आयुक्त कवींद्र कियावत जी ने कहा कि समाज में शैक्षणिक विकास के साथ-साथ नैतिक मूल्यों में आ रहे ह्रास की भी चिंता करने की आवश्यकता है. नैतिक मूल्यों के बिना शिक्षा का कोई आधार नहीं. शिक्षा के साथ संस्कार और नैतिक मूल्य बच्चों को सिखाने में सेवा भारती महत्वपूर्ण कार्य कर रही है. इस प्रकार के प्रतिभा सम्मान समारोह न केवल बच्चों को प्रोत्साहित करते हैं, अपितु गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को भी आगे बढ़ाते हैं. आज आवश्यकता है कि शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए.

सेवा भारती, मध्य भारत प्रान्त के सचिव विमल त्यागी जी ने कहा कि हमें जीवन में सफल होना है तो महाभारत के दो प्रसंग से सीख अवश्य लेनी चाहिए. एक, जब गुरु द्रोणाचार्य के पूछने पर अर्जुन ने कहा कि उन्हें चिड़िया की सिर्फ आँख दिख रही है. अर्थात् अर्जुन का ध्यान सिर्फ लक्ष्य पर था, जबकि बाकी सब को पूरी चिड़िया, पेड़ और आसपास की वस्तुएं भी दिख रहीं थीं. दूसरा, जब गुरु द्रोणाचार्य ने “सत्यं वद धर्मं चर” का पाठ पढ़ने को दिया तो उसे सिर्फ युधिष्ठर ने आत्मसात किया. उन्होंने बताया कि आज जिन 250 विद्यार्थियों का सम्मान हो रहा है, ये सब सेवा बस्तियों में संचालित सेवा भारती के संस्कार केन्द्रों पर पढ़ने वाले भैया-बहिन हैं. भोपाल में सेवा भारती के केंद्र पर पढ़ने वाले 1200 से अधिक विद्यार्थियों ने इस बार अपनी-अपनी कक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये हैं.

भोपाल महानगर में सेवा भारती के प्रकल्प –

  1. निराश्रित वृद्धजनों के लिए आनंदधाम
  2. शिशु-बाल के लिए मातृछाया
  3. दिव्यांग बालकों के लिए गाँधी आश्रम
  4. वनवासी विद्यार्थियों के लिए वनवासी छात्रावास
  5. सेवा विद्या मंदिर
  6. स्वास्थ्य के लिए आरोग्यधाम
  7. महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए पुष्पलता प्रशिक्षण केंद्र
  8. शिक्षा एवं संस्कार केंद्र
  9. भजन मंडली
  10. कंप्यूटर शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्र

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